Book Title: Navkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain, Kusum Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 139
________________ महामन्त्र णमोकार अर्थं, व्याख्या (पदक्रमानुसार ) / 135 1 णमो अरिहंताणं 1 3 2 ण् + अ म् + आ + र् + इ + अ त - आ ण + अ । 2 णमो सिद्धाणं 4 + अ +ओ, स + इ, द् +ध् + आ ण् + अ । 1 3 णमो आइरियाणं 7+8 15+16 ण + अ, म + ओ, आ + इ, र + इ, य + आ ण् + अ । 4 णमो उवज्झायाणं 5 ण + अ, म + ओ, उ, व् + अ, ज्, झ् + आ, य + आ ण + अ । 5 णमो लोए सव्व साहूणं 9+ 10 ण + अ, म + ओ, ल् + ओ, 6 स+आ, ह + ऊ, ण + अ । 1314 11+ 12 ए, स+अ, व् + व् + अ उक्त विश्लेषण मे स्वर मातृकाए अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ ओ अ अ' उवत सभी सोलह (16) स्वर णमोकार मन्त्र मे सयोजन प्रक्रिया से प्राप्त होते हैं । कुछ स्वर यथा ई, ऋ, लृ, ऐ, ओ, अ सीधे प्राप्त नही होते हैं । इनके मूल योजक तत्वो के माध्यम से इन्हे प्राप्त किया जा सकता है । यथा - इ + इ = ई । र ऋ का प्रतीक है। ल् लू का प्रतीक है। अ + इ =ऐ । अ +ओ = ओ अ + अ =अ | पुनरवत स्त्ररो को पृथक् कर देने पर पूरे 16 स्वर मिलते हैं ।

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