Book Title: Navkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain, Kusum Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 158
________________ 154 / महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण वस मैना सुन्दरी ने अपने पति की पूरी सेवा करना प्रारम्भ कर दिया | वह नित्यप्रति महामन्त्र का जाप करने लगी और भगवान के गन्धोदक से पति को चर्चित भी करने लगी। पति के समीप बैठकर महामन्त्र का पाठ करती रही। धीरे-धीरे पति श्रीपाल का कुष्ट रोग समाप्त हो गया । वह परम सुन्दर व्यक्ति बन गया। उसके मन्त्रियो ने प्रयत्न करके उसका पता लगाया । अन्तत श्रीपाल को उसका राजा पद प्राप्त हुआ । महामन्त्र के विषय मे निजी अनुभव- अब तक हमने कतिपय पौराणिक कथाओ के आधार पर महामन्त्र णमोकार के माहात्म्य एव प्रभाव कीए के भव्य झलक देखी । अब और अधिक प्रामाणिकता की तलाश मे हम अपने ही युग के सहजीवीसमकालीन व्यक्तियों के कुछ महामन्त्र सम्बन्धी अनुभव प्रस्तुत कर रहे हैं 1 घटना 13-11-1985 के प्रात काल की है । सम्पूर्ण तमिलनाडु गत दस दिनो से अतिवृष्टि की प्रलयकारी चपेट मे था । मद्रास नगर का लगभग एक चौथाई भाग जलमग्न था । मैं मद्रास नगर के ही एक भूखण्ड जमीन- पल्लवरम् मे रहता हू । 13 11-1985 को प्रात. होतेहोते मेरा समस्त मुहल्ला खाली हो गया। लोग घर छोड़कर चले गए । सभी के घरो में 4-5 फुट पानी आ गया था। 3-4 किलोमीटर तक पानी ही पानी भरा हुआ था। मेरे घर में दरवाजे की चौखट तक पानी आ चुका था । सडक से लगभग 4 फुट ऊची मेरी नीव है। तीन-चार इच पानी और बढता तो मेरे घर मे पानी आ जाता। मेरी पत्नी और पुत्री की घबराहट बढती ही जा रही थी। मैंने कहा, थोड़ी देर तो धैर्य रखो, कुछ न कुछ होगा ही । 我 चुपचाप भीतर के कमरे मे बैठकर महामन्त्र णमोकार का पाठ करने लगा । लगभग 15 मिनट के बाद सहसा पानी बरसना बन्द हुआ । धीरे-धीरे भरा हुआ पानी भी घटने लगा । घर भर में अपार शान्ति छा गयी और उल्लास भी । यह मेरे जीवन में महामन्त्र का सबसे बड़ा उपकार है । समस्त मुहल्ले को राहत मिली । महामन्त्र के अतिरिक्त मानवीय शक्ति क्या कर सकती थी ?

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