Book Title: Navkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain, Kusum Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 159
________________ णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव | 155 2. 'जैन दर्शन' पत्रिका के बर्ष 3 अंक 5-6 जखोरा (ग्राम) जिला झासी (उत्तर प्रदेश) निवासी अब्दुल रज्जाक मुसलमान ने महामन्त्र की महिमा का स्वानुभव प्रकाशित कराया है। इसका उल्लेख डॉ. नेमीचन्द्रजी ज्योतिषाचार्य ने अपनी पुस्तक 'मगल मन्त्र णमोकार' एक अनुचिन्तन' में भी किया है। वह अक्षरशः इस प्रकार है- "मैं ज्यादातर देखता या सुनता हूं कि हमारे जैन भाई धर्म की ओर ध्यान नही देते। और जो थोडा बहुत कहने-सुनने को देते भी हैं तो वे सामायिक और णमोकार मन्त्र के प्रकाश से अनभिज्ञ हैं। यानी अभी तक वे इसके महत्त्व को नही समझते हैं। रात-दिन शास्त्रों का स्वाध्याय करते हए भी अन्धकार की ओर बढते जा रहे हैं। अगर उनसे कहा जाए कि भाई, सामायिक और णमोकार मन्त्र आत्मा मे शान्ति पैदा करने वाले और आए हुए दु खो को टालने वाले हैं। तो वे इस तरह से जवाब देते हैं कि यह णमोकार मन्त्र तो हमारे यहा के छोटे-छोटे बच्चे भी जानते हैं। इसको आप हमे क्या बताते हैं ? लेकिन मुझे अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है कि उन्होंने सिर्फ दिखावे की गरज से बस मन्त्र को रट लिया। उस पर उनका दृढ विश्वास न हुआ और न वे उसके महत्त्व को ही समझे हैं। मै दावे के साथ कह सकता है कि इस मन्त्र पर श्रद्धा रखने वाला हर मुसीबत से बच सकता है क्योंकि मेरे ऊपर से ये बातें बीत चुकी हैं। मेरा नियम है कि जब मैं रात को सोता हू तो णमोकार मन्त्र को पढता हुआ सो जाता है। एक मरतबा जाड़े की रात का जिक्र है कि मेरे साथ चारपाई पर एक बडा साप लेटा रहा, पर मुझे उसकी खबर नहीं। स्वप्न मे जरूर ऐसा मालूम हुआ जैसा कि कह रहा हो कि उठ साप है। मैं दो-चार मरतबे उठा भी और उटकर लालटेन जलाकर नीचे ऊपर देखकर फिर लेट गया, लेकिन मन्त्र के प्रभाव से, जिस ओर साप लेटा था, उधर से एक मरतबा भी नही उठा। जब सुबह हुना, मैं उठा और चाहा कि बिस्तर लपेट लू, तो क्या देखता हूँ कि बडा मोटा साप लेटा हआ है। मैने जो पल्ली खीची तो वह झट उठ बैठा और पल्ली के सहारे नीचे उतरकर अपने रास्ते चला गया। यह सब महामन्त्र णमोकार के श्रद्धापूर्ण पाठ का ही प्रभाव था जिससे एक विर्षला सर्प भी अनुशासित हुआ।

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