Book Title: Navkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain, Kusum Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 150
________________ 146 / महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण इससे समस्त देव सम्पदा वशीभूत हो जाती है। मुक्तिवधू वश मे हो जाती है। चतुर्गति के सभी कप्टो को भस्म करने वाला यह मन्त्र है। मोह का स्तम्भक और विषयासक्ति को समाप्त करने वाला है। आत्मविश्वास को प्रबलता देने वाला तथा सभी स्थितियो मे जीव मात्र का "परम मित्र है। अर्ह यह अक्षर युगल साक्षात ब्रह्म है और परमेष्ठी का वाचक है। सिद्धियो की माला का सदबीज है। मैं इसको मन, वचन और काय की समग्रता से प्रणाम करता है। हे जिनेश्वर रूप महामन्त्र मुझे आपके अतिरिक्त कोई अन्य उबारने वाला नही है । आप ही मेरे परम रक्षक है। इसलिए पूर्ण करुणा भाव से हे देव । मेरी रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए। महामन्त्र का प्रभाव हम महामन्त्र णमोकार के माहात्म्य को अथवा उसके उपकार को प्रभाव के रूप मे समझ सकते है। अनेक शास्त्रभ्य प्रसगो, कथाओ और उक्तियो द्वारा इस माहात्म्य का लोकोत्तर प्रभाव बताया गया है। अनेकानेक भक्तो ने अपने-अपने अनुभवो को भी इस मन्त्र के प्रभाव के रूप मे प्रकट किया है। यहा कुछ व्यक्तिगत अनुभवो को उद्धत करके इस महामन्त्र के प्रभाव का स्पष्ट करना अधिक व्यावहारिक होगा। इस मन्त्र के चमत्कारो और प्रभावो को तीर्थकरो एव मुनियो के जीवन मे भी घटित होते देखा गया है। भगवान पार्श्वनाथ ने इस मन्त्र की आराधना से समस्त उपसर्गो को हसकर सहा। कमठ तपस्वी जो पचाग्नि तर करता था उसकी धनी मे एक अधजला नाग था, उसको पार्श्वनाथ न णमोकार मन्त्र सुनाकर नागकुमार देव पद प्राप्त कराया। _भगवान महावीर के जीवन मे भी नयसार भव मे एव नौका प्रसग मे णमोकार मन्त्र का साहास्य रहा। अजन चार राजा श्रेणिक, राजा श्रीपाल, सेठ सुदर्शन, जीवन्धर स्वामी एव श्वान आदि के प्रसग मुविदित ही हैं। अर्जुन माली जैसे हत्यारे और मुग्दल सेठ की कथा भी प्रसिद्ध है ही। जैन धर्म की दिगम्बर-श्वताम्बर सभी शाखाओ मे अनेक स्थाए महामन्त्र के

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