Book Title: Navkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Author(s): Ravindra Jain, Kusum Jain
Publisher: Keladevi Sumtiprasad Trust

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Page 155
________________ णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव | 151 एक पापी, दुराचारी व्यक्ति अपनी पूरी श्रद्धा के कारण महामन्त्र की सहायता से बन्धन मुक्त हो सका, जबकि श्रद्धाहीन वारिषेण ज्ञानी होकर भी कुछ न पा सका। श्रद्धाहीन ज्ञान से न व्यक्ति स्वयं को ऊपर उठा सकता है न दूसरों को। कहा भी है-“सशयात्मा विनश्यति" इसी प्रकार अनन्तमती की कथा, रानी प्रभावती की कथा भी अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। पशुओं पर भी प्रभाव 1 "णमोकार मन्त्र के प्रभाव से (स्मरण से) बन्दर ने भी आत्म कल्याण किया है। कहा गया है कि एक अर्धमत बन्दर को मुनिराज ने दयाकर णमोकार-मन्त्र सुनाया। बन्दर ने भक्तिपूर्वक णमोकार मन्त्र सुना जिससे वह चित्रागद नामक देव हुआ।" 2 "पुण्याश्रव कथा कोश के अनुसार कीचड में फसा एक हथिनी को णमोकार मन्त्र के श्रवण के प्रभाव से नर पर्याय प्राप्त हुआ।" 3 व पुराण मे भगवान पार्श्वनाथ ने जलते हुए नाग-नागिनी को महामन्त्र सुनाया और अत्यन्त शान्त चित्त से श्रवण के कारण वे नाग-नागिनी बाद मे धरणेन्द्र और पद्मावती हुए। यह कथा तो सभी जैन-वर्गों मे प्रकारान्तर से प्रसिद्ध है।" 4 "जीवनधर स्वामी ने मरणासन्न कुत्ते को महामन्त्र णमोकार सुनाया था। मन्त्र की पवित्र ध्वनि त रगों का कुत्ते के समस्त शरीर और मन पर अद्भुत सात्विक प्रभाव पडा। और उसने तुरन्त देव पर्याय प्राप्त की। महामन्त्र के निरादर का फल आठवे चक्रवर्ती सूभीम का रसोइया बडा स्वामीभवत था। उसने एक दिन सुभीम को गरम-गरम खीर परोस दी। सुभीम ने गर्म खीर खा ली। उनकी जीभ जलने लगी। बस क्रोध मे भर कर खीर का पूरा बर्तन रसोइये के सिर पर उडेल दिया। इससे वह तुरन्त मरकर व्यंतर देव हुआ। लवण समुद्र में रहने लगा। उसने अवधि ज्ञान से अपने पूर्वभव की जानकारी प्राप्त की, उसके मन में चक्रवर्ती से बदला लेने की बात ठन गयी।

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