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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......49 लाभ
चक्र- मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस केन्द्र एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ीतंत्र, आँतें, मेरुदण्ड, गुर्दे, पैर। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार भी जिस मुद्रा में अंगुलियाँ मुट्ठी रूप में और अंगूठा ऊर्ध्वदिशा में प्रसरित हो वह शिखर मुद्रा है।25
शिखर मुद्रा-2
लाभ
चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरुदण्ड, गुर्दे, पैर, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत तिल्ली, आँते।