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300... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
लाभ
चक्र - मूलाधार, मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- पृथ्वी, अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन, एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्रशक्ति, तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मेरूदण्ड, गुर्दे, यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।
9. वामनावतार मुद्रा
वामन का अर्थ बौना होता है। भगवान विष्णु का पांचवाँ वामन अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार बलि राक्षस को विनम्र करने के लिए उन्होंने बौने रूप में जन्म लिया था।
यह मुद्रा विष्णु के वामन (बौना ) अवतार की सूचक है।
विधि
इस नाट्य मुद्रा में दोनों हाथों की आकृति समान होती है केवल हाथों को रखने की स्थिति में अन्तर होता है। दोनों हथेलियों
को मध्यभाग की तरफ रखें, फिर अंगुलियों के बाहरी प्रथम पोरों पर अंगूठा रखने से वामनावतार मुद्रा बनती है।
इस मुद्रा में दायें हाथ की अंगुलियाँ नीचे की तरफ और बायें हाथ की अंगुलियाँ ऊपर की तरफ रहती है।
वामनावतार मुद्रा