Book Title: Natya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 375
________________ शिल्पकला एवं मूर्तिकला में प्राप्त हस्त मुद्राएँ......309 आरम्भिक सिक्कों पर कट्यवलम्बित हस्त मुद्रा की खोज की गई है। इसी प्रकार और भी कई सिक्कों में यही मुद्रा देखी गई है। (देखें, फलक 1, चित्र 21-2, 28, पृ. 257) मथुरा से प्राप्त एक सिक्के पर भी वही मुद्रा अंकित है। (देखें, फलक 2, चित्र 14, पृ. 257) कायोत्सर्ग मुद्रा देखें, फलक 2, चित्र 13, पृ.257 आर्हत सिक्कों पर यह मुद्रा पहचानी गई है। इसमें आकृति के दोनों हाथ कायोत्सर्ग की भाँति नीचे लटके हुए हैं। सिन्धुकला में एक मुहर पर भी इसी मुद्रा को पहचाना गया है। (देखें, फलक 7, चित्र 2, पृ.258) कटकामुखहस्त मुद्रा देखें, पृ.258 बनर्जी ने भरहुत से प्राप्त एक देवता की मूर्ति में कटकाहस्त मुद्रा को पहचाना है। दण्डहस्त या गजदन्तहस्त मुद्रा देखें, फलक 3, चित्र 8, 9.258 एक मूर्ति में बायां हाथ सीधा सामने की ओर प्रसारित है। इसे दण्डहस्त या गजहस्त मुद्रा के रूप में पहचाना है। इसी मुद्रा को नटराज मुद्रा भी कहा गया है। बनर्जी ने भरहुत से प्राप्त एक अप्सरा मूर्ति में भी इस मुद्रा के प्राचीनतम स्वरूप को पहचाना है। (देखें, फलक 2, चित्र 22, पृ.258) सूचीहस्त मुद्रा देखें, फलक 4, चित्र 6, पृ.259 किसी हाथ की तर्जनी अंगुली ऊपर की ओर या नीचे की तरफ रहती है तब सूचीहस्त मुद्रा कहलाती है। बनर्जी ने भरहुत से प्राप्त सुदर्शना यक्षिणी के दायें हाथ की अंगुली को सूचीहस्त मुद्रा के रूप में पहचाना है। (देखें, फलक 2, चित्र 23, पृ.260)

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