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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......269 77. सिन्धुवर मुद्रा
यह नाट्य परम्परा की गोपनीय मुद्रा है। विद्वानों के मतानुसार इस मुद्रा का सम्बन्ध सिन्धुवर नामक वृक्ष से है।
यह मुद्रा दोनों हाथों में समान रूप से होती है। विधि
दोनों हथेलियों को स्वयं की तरफ रखें, अंगूठा और अनामिका के अग्रभागों को परस्पर स्पर्श करवायें, मध्यमा और तर्जनी को हल्के से अलग करते हुए सीधी रखें, कनिष्ठिका को किंचित झुकायें तथा हाथों को कलाई पर Cross करते हुए रखने पर सिन्धुवर मुद्रा बनती है।63
सिन्धुवर मुद्रा लाभ
चक्र- मणिपुर, अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस, आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र,