Book Title: Naishadhiya Charitam
Author(s): Sheshraj Sharma
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ संक्षिप्त कथसार अपनी इच्छाको प्रकट करना / इन्द्रका उपेन्द्रके संरक्षणमें युद्ध में अपनी अभीति का प्रकाश करना और दोनों ऋषियोंका मर्त्यलोकके प्रति प्रस्थान / यम वरुण और अग्निके साथ इन्द्रका कुण्डिनपुरमें दमयन्तीके स्वयंवरमें जाने के लिए प्रवृत्त होना। उस समय इन्द्राणी और अप्सराओंके भिन्न-भिन्न मनोभावों का सविस्तर वर्णन / इन्द्र आदि देवताओंका दमयन्तीके पास दूतीको और राजा भीमके पास मित्रभावसे अनेक उपहारोंको भेजना। रास्ते में रथमें आरूढ़ होकर कुण्डिनपुर में प्रस्थानके लिए उद्यत नल का सौन्दर्य देखकर देवताओं में प्रत्येककी दमयन्ती - की प्राप्तिमें निरासाका वर्णन / इन्द्रका अपने साथ देवताओंका परिचय देकर नलके प्रति अपनी आथिताको जतलाना। इन्द्र का कपट न जानकर अपनेको सौभाग्यशाली समझकर नलका उनकी इच्छा पूर्ण करनेके लिए स्वीकृति देना / तब इन्द्र का दमयन्तीके पास दूतरूपमें जाने के लिए नलसे प्रकाशरूप में अनुरोध करना / देवताओंका * पट जानकर स्वयम् दमयन्तीके प्रणयार्थी होने से नलकी अस्वीकृति जतानेपर इन्द्र आदि देवताओंके सामूहिक प्रयासकर अदृश्य शक्ति देकर जबर्दस्ती से नलको अपने दूतकर्म में प्रवृत्त करना। षष्ठ सर्ग - रथमें आरूढ होकर वेगपूर्वक नलका कुण्डिनपुरमें पहुंचना / पहुँचनेके बाद ही उनकी मूर्तिका अदृश्य होना। नलका राजमन्दिरमें और अन्त पुरमें प्रवेश करना / भ्रमसे दमयन्तीका दर्शन होना और अन्तःपुरमें नलका अनेक महिलाओंका अनेक क्रियाकलाप देखना / नलकी जितेन्द्रि यताका वर्णन / त्रियों के स्पर्शसे बचनेके लिए नलका चतुष्पथ (चौराहा) में जाना, वहाँपर भी उनका अनेक स्त्रियोंके सम्पर्कका वर्णन / अन्तःपुरमें माताको प्रणाम कर लीटती हुई दमयन्तीके साथ योग होने पर भी भ्रमवश नलका न पहचानना तथा दमयन्ती का भी नलको न देखना / भ्रमणक्रमसे नलका दमयन्ती के प्रमादम पहुँचना / वहाँ पर नलका स्त्रियोंकी अनेक क्रियाओंको देखना। मखीसमाज में विद्यमान दमयन्तीको नलका पहचानना। वहांपर अग्नि यमराज और वरुणकी. दूतियों की प्रार्थनाओंमें दमयन्तीकी अस्वीकृतिसे नल को उनकी प्राप्ति में प्रत्याशा / दमयन्तीको इन्द्र के दूतोंसे इन्द्रसन्देशका विशेष वर्णन / इन्द्र की प्रार्थनाको स्वीकार करनेके लिएसखियोंकी भी दमयन्तीसे अभ्यर्थना दमयन्तीसे प्रीतिपूर्वक इन्द्र की प्रणयप्रार्थनाका प्रत्याख्यान नलमें आशाका सञ्चार होना /

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 1098