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मुंबई के जैन मन्दिर
यहाँ का मन्दिर प्रथम माले पर है जिसके निर्माण में श्रीमती मणिदेवी जैन धर्मपत्नी लच्छीरामजी जैन का विशेष सहयोग रहा हैं। यहाँ श्री चंद्रप्रभस्वामी दिगम्बर जैन पुस्तकालय तथा श्री जैन युवा संघ खेतवाडी की व्यवस्था हैं।
मुबई सेन्ट्रल
श्री नेमिनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर सेठ हिराचन्द गुमानजी दिगम्बर जैन बोर्डीग, नवजीवन सोसायटी के सामने, मुंबई सेन्ट्रल, लेमिंग्टन रोड, मुंबई - ४०० ००८.
टेलिफोन :-३०७ ६९१३ । विशेष :- यह जैन बोर्डिग स्कूल सुरत निवासी विशा हुमड ज्ञाति के मंत्रेश्वर गोत्रज पानाचन्द मानेकचन्द नवलचन्द और पौत्र प्रेमचन्द ने अपने स्वर्गवासी तीर्थस्वरूप पिताश्री सेठ हीराचन्द गुमानजी की यादगीरी कायम रखने के लिये बाँधकर ट्रस्ट करके शिक्षण के उत्तेजनार्थ अर्पण किया हैं। वि. सं. १९५६ का चैत्र सुदि ७, शुक्रवार ता. ६-४-१९०० को।
यहाँ मूलनायक श्री नेमिनाथ प्रभु की प्रतिमाजी आरस की नीले रंग की हैं तथा पंचधातु की ६ प्रतिमाजी एवं २ देवीयों की मूर्तियाँ तथा ३ यंत्र हैं। आरस की बनाई वेदी पर चाँदी के बनाये मन्दिर में भगवान बिराजमान हैं । मन्दिर की दिवारो पर लगी खिडकीयो पर लगाये लाल रंग के कांचो पर नरक में अलग अलग कूकर्मो का दिये जाने वाले फलो का दृश्य दिखाया गया हैं।
वरली श्री १००८ आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर शान्तिनाथ भगवान चौक, श्री राम मील गली, शिवराम एस. अमृतवार मार्ग,
श्रीराम मील के सामने, वरली, मुंबई - ४०० ०१३. टेलिफोन :-४९४ ०८ १७ - प्रेमचन्दजी, ४९२ ६९ ७२ - मगनलालजी विशेष :- श्री दिगम्बर जैन समाज वरली द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस मन्दिर में वि. सं. २०५२ का भादवा सुदि ५, तारीख १८-९-९६ को यहाँ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथजी सहित कुल पंचधातु की ४ प्रतिमाजी एवं ताँबे के २ यंत्र मेहमान के रूप में बिराजमान किये गये । मन्दिरजी का नूतन निर्माण करके वेदी बनाकर पाषाण की प्रतिमाजी बिराजमान करके प्राण प्रतिष्ठा कराने की यहाँ के समाज की प्रबल भावना हैं।
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