Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 316
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ܕ भावक ] 99 २५४४ श्रावकगुण दर्पण. रु. ०-१-६ २६४५ श्रावकधर्म दर्पण. रु. ०-३-६ २५४६ श्रावक धर्म संहिता (धर्मविन्दुमांथी धर्मविन्दु सार प्रथम भाग ) प्र. नं. ३ रु. ०१२-० (५९५ ) २५४७ श्रावक धर्म स्वरूप. भा. १लो. रु. ०-१ - ०] आ. बीजी. पृ. ४० भा. २ जो. रु० - १-० } " " पृ. ४० २५४८ भावकनी आलोयणा. ( स्थानक वासीनी ) रु०-४-० रु. ०–२–० www.kobatirth.org "P ܕ 33 39 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २११ की. नथी. (३३) 99 २५४९ श्रावक प्रज्ञप्ति भाषान्तर रु. ०-२-० " 39 सूत्र. मूळ. सं. टीकार्नु भाषान्तर. गु. भा. क. के. प्रे. मोदी. रु. ०-१०-० (६३, ५० २५५० श्रावक व्रतभंग. प्रकरण. अवचूरि सहित. ग्रॅ. रत्न. १४ मू. मा. सं. १९६९ रु. ०-२-० ( १७, १० ) २५५१ श्रावक श्राविका धर्म. ग्रं. नं. १५रु. ०-२-० सं० १९७८ ( ५३९, ६९३ ) " " " २५५२ भावक सामायिक विधि रु. ०-६-० २५५३ श्रावक संसार. रु० ०-१२-० २५५४ श्रावक स्तवन संग्रह. भा. १-२-३ भेट. ४३ २५५५ श्राविका धर्म, रु.०-१-० (६९४) रु. ०-१-६ [ ६० ) २५५६ श्राविका भूषण. प्रथमालंकार. रु. ०–१२-० ( १४३, द्वितीयालंकार रु. १-०-० ( १४३, ६० ) · [ भाविका For Private And Personal Use Only तृतीयालंकार. रु. १-०-० ( १४३, ६० ) तुर्यालंकार रु. १-४-० ( १४३, ६० )

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