Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 314
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शोक] २०९ [श्राद्धगुण २५२३ शोक विनाशक. गं. ७५ बुद्धिसागरसूरि. (१५, ५८ थी ६२, १८४) २५२४ शोभन स्तवनावली. दशवैकालिकसूत्रनां अध्ययनो स्तवनो विगेरे. रु. ०-५-० ( ६८४. ६८५, ५०) २५२५ स्यावाद कलिका. ( राजशेखर सूरि) श्री युक्तिप्रकाशना भेगो आ गंथ छे.) रु. ०-८-० (भेगांनी) (३२) २५२६ साम्य शतक. विजयसिंहसरि कृत. सविवेचन. भाषान्तर सहित. (१४३ ) २५२७ श्रद्धाशुद्धि उपाय. कर्पूरविजयकृत, रु ०-२-० (भेट) (३३, ५०) २५२८ श्रमणनारद. इंग्रेजी उपर अनुवादक. पंडित लालम. फ. क. परोपकारनो अवतार. भेट. (१०९, ५०) २५२९ श्रमण प्रतिक्रमण सत्तिकम्. (५०) २५३० श्रमण प्रतिक्रमण सूत्र. सं. १९६७ रु. ०-१-६ (१६, २५३१ श्रपणसूत्र. (५०) [१) (प्रति) २५३२ श्रमणसूत्रवालावबोध. नयविमलगणि कृत. रु. ०-४-० २५३३ श्रमणसूत्रचि . (पाना) रु. ०-१-६ (७३) २५३४ श्राद्ध कल्पतरु. योजक कर्पूरविजयजो. (३३, ५०) २५३५ श्राद्धगुण विवरणम् जिनमंडनगणि गुंफितम् अणहिलपुरप. दृन नगरे. सं. १४९४ वर्षे निर्मित अलभ्य. गं. रत्न, २९ सं. १९७० रु. १-०-० (१७, १०) २५३६ श्राद्धगुणविवरण भा. १ लो. आत्मानंद जैनेटेकट सो. साइटी. अंबाला शहेर. " " भाषान्तर. प्र. नं. ३० रू. १-८-० (प्रति ) (६८६, १७) For Private And Personal Use Only

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