Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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ज्ञाना]
२५८
[नवतत्व ३०७० ज्ञानावली प्रथमखंड संग्रहकर्ता सेताबचंद नहार बहादूर.
सं. १९६६ त्रीजी आरति हिन्दी धार्मिक रास सइशाय ( अलभ्य ) ( २८३, ३६६, १०४ ) , द्वितीयखंड. रु. १-४-० सं. १९६२ लभ्य.
(२८३, ३६६, १०४) [१-०-० (६) ११६८ अ. दश वैकालीक सूत्र टीकार्नु भाषान्तर भाग १ लो रु. ११५२ अ. दया दर्पण हिन्दी. रु. ०-०-१ (४८-०) ११७७ अ. दानप्रदीप भाषान्तर. रु. ३-०-० पत्र ४९६ भा.
क. पं. चतुर विजय महाराज. (१७) ११८८ अ. दिल्लगीका बस्ता नसीहतोका गुलदस्ता उर्दू, रु.
०-१-३ (४८) १२०१ अ. दूलभकाव्य कलोल गु. रु. १-३-० (६) १२०४ अ. देवगुरु धर्मका स्वरुप उर्दू रु. ०-१-६ (४८) १२२४ अ. देवेन्द्र नरकेन्द्र प्रकरण वृत्तियुत रु. १-८-० (८४४) १२४५ अ. दोढसो गाथार्नु स्तवन गुजराति रु. २-०-० (६) १२७१ अ. द्रौपदी हिन्दी रु. ०-१-३ (४८) । १२९० अ. धनपाल पुरीहित याने तिलकमंजरी रु. ०.४.०(३६९) १२९५ अ. धन्यकथानकम् रु. ०-५-० (८४४) १३०० अ. धम्मिल कुमालचरित्र शास्त्री रु. १-०-० (६) १३०४ अ. धर्मकी जड सदा हरी उर्दू रू. ०-०-६ (४८) १३०८ अ. धर्मदत्तकथा संस्कृत रु. ०-२-० (६) १३२१ अ. धर्मबिन्दु भाषान्तर गु. रु. १-२-० (६) १३३३ अ. धर्मविधिपकरण माघधी रु. १-८-० (६) १३७३ अ. नयचक्र संग्रह रु. १-४-० (८४३) १३९७ अ. नवतत्व याने जैन फिलोसोफी उर्दु रु. ०-६-०(४८)
, ब. नवतत्व हिन्दी रु. ०-४-० (४८-०)
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