Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
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मो०
॥४॥
विजाः॥४३॥ योऽस्यां संजायते जातौ स ना आढ्य इति स्फुटम् ॥ स्वकीयं नाम निर्वक्ति सनाढ्या तत उच्यते॥४४॥ तस्यामेको हिज|न्मान-नाम्ना बदरमल्लकः ॥ तस्य शीलवती नाम्ना सुन्दरी सहधर्मिणी ॥ ४५ ॥ बलवाची बकारःस्या-दकारेण दयोच्यते ॥ बलं कर्मरिपूछेदि दया षटकायजीवनी ॥४६॥ एतान्यां राजते यः स बदरः । परिकीर्त्यते ॥ विनायुधं यो जयति रिपून्मल्लः स उच्यते ॥४॥ दधान ईदृशं योग-रूढं नाम स वाडवः ॥ गमयन्नस्ति कालं स्वमार्तरोऽविवर्जितः ॥४॥ पतिशुश्रूषणरता विरतावद्यकर्मणः ॥ शान्ता चोदारचित्ता च करुणाकोमला नृशम् ॥ ४॥ दोषप्रकटने । मूका गुणोजाने च वाग्ग्मिनी ॥ दोषेणे तथान्धा च गुणालोके सु
॥४॥
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