Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma
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लोचना ॥ ५० ॥ रहस्यश्रवणेऽन्येषा-मतीव बधिरा तथा ॥ गुणानुवादश्रवणे पटुश्रवणशालिनी ॥५१॥ एवं सजुणरत्नानां मन्दिरं सा allतु सुन्दरी ॥ कालं गमयति श्रेयः-काम्ययाधिविनाकृता ॥५॥ एकदा सा निशाशेषे सुखसुप्ता निरामया ॥ मुखे विशन्तमजदीत् पूर्णमिन्धु शुनानना ॥५३॥ सयः प्रबुझा ननाम देवदेवं ततो मुदा॥ शुचिर्भूत्वा प्रबुझाय गर्ने स्वप्नमचीकथत् ॥५४॥ श्रुत्वा स्वप्नं स मोदावि-नवदनागलकः ॥ प्राद प्रियामश्रुबिन्दून् हृदि दारनिनान्दधत् ॥५५॥ दिष्ट्या सुन्दरि सूनुस्ते नविता नुवनातिगः॥ धन्यासि कृतपुण्यासि नवेशाराधनाढता ॥५६॥ स्वीकृत्य शिरसा पत्यु-र्वचनं सुन्दरी तदा ॥ देवं गुरुं पतिं चापि विशेषात्पर्युपास्त सा
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