Book Title: Mohan Charitam
Author(s): Damodar Sharma
Publisher: Damodar Sharma

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यते मुनिमएितम् ॥३६॥ सुखेन यत्र वसति जन ईतिविवर्जितः॥ सहर्मो यत्र रमते विरागो विरते यथा ॥३७॥ ब्राह्मणा ब्रह्मनिरताः दत्रियास्त्राणतत्पराः॥ वैश्याश्च यत्र वाणिज्य-पराः शाश्च सेवकाः ॥ ३० ॥ स्वस्वकर्मरता एवं धर्ममाराध्य नक्तितः॥ साधयन्ति चतुर्वर्ग त्रिवर्ग वा यथाबलम् ॥ ३०॥ यत्रानिशं यशःकान्ति-योतिताम्बरमएमलाः ॥ चतुःषष्टिकलावन्तः समाः पदध्येऽपि च ॥ ४०॥चन्ज्ञतिशायिमाहात्म्याः सन्ति लोकाः सहस्रशः॥ तेनेदं प्रथितं लोके नाम्ना चन्पुरं किल ॥४१॥ चकारो वक्ति उष्कर्म तं ज्ञावयति यऊनः॥ तेन चन्पुरं नामा-लनतैतन्मतं मम ॥४२॥सनाढ्या नाम नत्रैका जातिरस्ति बिजन्मनाम् ॥ विद्याविनयसंपन्ना यस्यामुदनवन् For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 159