Book Title: Manan aur Mulyankan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 121
________________ प्रज्ञा और प्रज्ञ १११ नमस्कार किया गया और उन्हें 'जिन' भी बतलाया गया है । आचार्य अकलंक ने भी प्रज्ञाश्रमण का निरूपण किया है। इस प्रकार अनेक ग्रंथों में प्रज्ञा और प्रज्ञाश्रमण के विषय में सामग्री बिखरी हुई है। उसका अध्ययन प्रज्ञा रश्मियों के विकिरण में बहुत उपयोगी हो सकता है। १. षट्खंडागम, चतुर्थ वेदनाखंड, धवला पुस्तक ६, लब्धिस्वरूप वर्णन । २. तत्त्वार्थवार्तिक, सूत्र ३६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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