Book Title: Mahaveer Vani Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Bharat Jain Mahamandal View full book textPage 8
________________ मारो भने एमनो जेलनिवाल दरमियान थयेलो स्नेहसंपर्क महावीरवाणीने निमित्त बाज सुधी एवो ने एवो चालु रहेल छे-विशेप सुमधुर गाढ बनेल के. मा भाईने महावीरवाणी प्रत्ये नियाज प्रेम के तेने लीधे ज तेमओए माननीय विनोबाजीपातेथी आ पुस्तक विशे विशेष सूचन मागेलु,पने परिणामे आ पुस्तकमां थोडी वघघट थयेली छे अने पाडळ संस्कृत अनु. चादनो उमेरो पण थयेल छे. तथा आ पाणी माटे माननीय विनोबाजीना खास सूचक 'धे शब्दो' सुद्धां मळी शक्या छे. __माटे हु भाई रांकाजीनो सविशेप आभारी छु अने राष्ट्रसेवानी असाधारण प्रवृत्तिमा रोकायेला होवा छतां श्री विनोबाजीए 'महावीरवाणी' प्रत्ये जे पोतानो सद्भाव व्यक्त करी बताव्यो छे ते माटे तेमनो.पण सविशेष आभार मानवार्नु अहीं जतुं करी शकाय एम नथी. या वखते माननीय डॉ. भगवानदासजीए पोते खास नवी प्रस्तावना लखी मोकली छे एटलुंज नहीं पण तेमणे सर्व धर्म समभावनी दृटिए अने पोते खरेखर समन्वयवादी छे ए भावनाने लीधे नवी प्रस्तावनामा तेमणे महावीरवाणी प्रत्ये पोतानी असाधारण लागणो प्रगट करेल छे भने जैन बंधुओनी उदारता वाचत असाधारण विश्वास वतावचा साथे [९1Page Navigation
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