Book Title: Mahaveer Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 10
________________ मापी मने पोतानो ऋणी बनावेल ते माटे ते भाईर्नु नामस्मरण अवश्य करी लङ छु.. पहेली आवृत्ति वखते हुँ अमदावादमा, डॉ. भगवानदासजी धनारसमां बाटलं लावु अंतर होईने तेओ तत्काल प्रस्तावना लखी मोकले ए कठण तुं, परंतु मारा उपरना नियाज स्नेहने लीधे ५ काम भाई गुलायचंद जैन (वर्तमानमा अध्यक्ष श्री महावीर भवन पुस्तकालय अने वाचनालय दिल्ली ६) सारी रीते प्रयास करीने पण वजावी शक्या छे एटले ए स्वजनन पण नाम संकीर्तन अहीं जरूर करी लउं छु. आ उपरांत मारा स्नेही कवि मुनिश्री अमरचंदजी, पंडित सुखलालजी, भाई दलसुखभाई (बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी) तथा भाई शांतिलालजी (व्यावर गुरुकुळ मुद्रणालय)नो पण आ प्रवृत्तिमां मने जे सहकार मळ्यो छे ते भूली शकाय तेम नथी. आ वधा महानुभावोनो पण हु जरूर ऋणाछु. गुजरात युनिवर्सिटीए आ पुस्तकने इन्टरआर्टना प्राकृतभाषाना अभ्यासक्रममा योजेलुं छे ते माटे ए संस्थानो तेम ए संस्थाना संचालकोनो पण अहीं आभार मानवो जरूरी छे अने डॉ. भगवानदासजीए पण पोतानी प्रस्तावनामां ए संस्थाने अभिनंदन पाठवेल छे. छेले भाई जमनालालजी जैन ('जैनजगत' [११]

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