Book Title: Mahaveer Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ २४मी अने २५मी गाथा तथा इसमा चतुरंगीयसूत्रमाथी जुना प्रमाणे ९७मी भने ९८मी गाथा हती ते गाथामो आमां ओछी करी छे. पछी अगियारमा वीजा अप्रमादसूत्रमाथी जूनी आवृत्ति प्रमाणे १२७ थी १३५ सुधीनी पटले कुले नव गाथाओ ओछी करी छे. चोवीशमुं विवादसूत्र आलुंज काढी नाख्यु के पटले एनी कुले १९ गाथाओ ओछी थई. आम तो ७+२+२१९+१९ कुले ओगणचाळीश गाथाओ घटी के पटले बधी मळोने ३०७ गाथाओ रहेवी जोईए पण २४मा विवादसूत्रने बदले जातिमदनिवारणसूत्र नकुंज गोठव्युं छे. तेनी गाथाओ कुले सात छे पटले ३०७४७ मळी आ आवृत्तिमां कुले ३१४ गाथा थई, आ जोतां जूनी भावृत्ति करतां आमांथी कुले ३२ गाथाओ घटी. वाचकोनी रुचि प्रत्यक्ष जीवन तरफ रहे भने प्रत्यक्ष जीवन ज भविष्यना जीवननो पायो छेपमाटे ए तरफ ज विशेष ध्यान खेचाय ते दृष्टिने लक्ष्यमां राखी मा आवृत्तिमां थोडीघणी पधघट करी छे. वर्तमानमा आपणे जोईए छीए के तमाम धर्माचलंबीमोनुं ध्यान प्रत्यक्ष सृष्टि करतां परोक्ष सृष्टि तरफ घणुं पधारे छे. तेओ ईश्वरने नामे, मंदिरने नामे, देवदेवीमोने नामे, धर्मनां मनाता कर्म[१४]

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 220