Book Title: Mahaveer Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

View full book text
Previous | Next

Page 208
________________ [ १८१] कुसग्गे पद्यका आदिवाश्य पद्यका अंक | पद्यका आदिवाक्य पछका अक कहं चरे? २८२ चत्तारि परम- ८७ कामाणगिद्धि- ५५ । चत्तारि वमे २७० कायसा १८४ चरे पयाई १०५ किण्हा नीला २३८,२३९ । चिच्चा दुपय १७० ११३ । चिचाणं घणं १२५ कूइयं रुइयं ४७ चित्तमंतमचित्तं ३३, २६० कोहा वा नइ वा २५९ / चौराजिणं १५८ कोहो पीई १४४ छन्दनिरोहण १०६ कोहो य माणो य १४२ | जगनिस्सिएहिं १४ कोहं च माणं च १५१ जणेण सद्धिं १८१ कोहं माणं च जम्मं दुक्खं १६६ खणमेत्तसोक्खा १५४ जमिणं जगई खामेमि सञ्चे ३०० खिप्पं न सकेइ जया गई वहुविहं २९० गइलक्खणो जया चयइ २९३ गुणेहि साहू २५२ जया जीव- २८९ चउरंग ९८ / जया धुणइ २९६ चउँविहे वि ६८ / जया निविदए २९२ १७२ ! जया कम्म

Loading...

Page Navigation
1 ... 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220