Book Title: Mahaveer Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 217
________________ [ १९०] अशुद्ध अरात्रि भोजन- लोहो लाते! पमत्त पंचिन्दिया विइय स्वादिष्ट लोहा परित्याग विणिअहेज पुणरवि सुवया राजन्, पंडितमन्य अरात्रिभोजन- गा० ६४ (शीर्षक अनुवाद) लाते गा० ९४ (अनुवाद) पमत्ते गा० १०१ पंचिन्दियया गा० ११८ बिइयं गा० १२६ स्वादिष्ठ गा० १३४ (अनुवाद) गा० १४७ परित्याग गा० १५१ (अनुवाद) विणिअटेज गा० १६१ पुणरावि गा० १६३ सुव्वया गा० १६४ राजन् ! गा० १७५ (अनुवाद) पंडितंमन्य ___ गा० १७७ (,) गा० १७९ (,) भयभ्रान्त गा० १८८ (अनुवाद) चिचा गा० १९६ उच्छृखल गा० १९२ (अनुवाद) गा० १९८ गा० १९९ भयभ्रान चिच उच्छंखल पडिए पंडिए

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