Book Title: Mahabal Malayasundarino Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ ॥ ॐ श्री परमगुरुभ्यो नमः ॥ ॥ ॥ अथ पंडित श्रीकांतिविजयजी कृत || ॥ श्री महाबल मलय सुंदरीनो रास प्रारंभ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ स्वस्तिश्री सुख संपदा, पूरण परम उदार ॥ था दीसर आनंद निधी, प्रणमु प्रेम अपार ॥ १ ॥ फणी मणि मंकित नील तनु, करुणारस जरपूर ॥ पारस जलधर पल्लवो, बोध बीज अंकूर ॥ २ ॥ शासन ना यक साहेबो, गिरुd गुण विलसंत ॥ हरिलंबन हियमे धरु, महावीर जगवंत ॥ ३ ॥ गणधर मुख मंरुप व से, विहम महिमा जेह ॥ ांतर तिमिर विनासिनी, समरुं सरसति तेह ॥ ४ ॥ चतुमंगल वरत्यां हवे, प्रगट्यो वचन प्रकाश ॥ निज इछा पूर्वक पणे, जाषु वारू जास ॥ ५ ॥ धर्म सहित कौतुक कथा, कवि ता कहतो सार ॥ निज जीदा पावन करे, विकसे मति परिवार ॥ ६ ॥ कार धुर संब्यो, चवेदा चोसाल ॥ तिम पुरुषारथ धुर धरयो, धर्म एक सुर साख ॥ ७ ॥ डुरगति पकता जीवने, धारणथी ते ध Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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