Book Title: Mahabal Malayasundarino Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ मनवसी, क्षण क्षण पंजर खाय ॥ तिल तिल करी जे संची, ते तोले तोले जाय ॥५॥ संतापें ता प्यो घणुं, न सुणे केहनी वात ॥ अन्न उदक रुची परिहरि, जोगीसरज्युं ध्यात ॥ ६ ॥ चंपकमाला पे खी, इणे अवसर नरनाद ॥ आश् तुरत पणे ति हां, सत्रम जर चित्तचाह ॥ ॥ राय बागल उन्नी रही, धरती राग विशेष ॥ करजोमी बोली प्रिया, णीपरें अवर उवेख ॥ ७॥ ॥ ढाल बीजी॥ करजोमी मंत्रि कहे ॥ ए देशी॥ ॥ करजोमी राणी कहे, अरज सुणो महाराज हो प्रीतम ॥ पूर्बुबु बंदे रह्या, कहेता मत करो लाज हो ॥ प्री० ॥ कर ॥ १॥ बोलो नहीं मन मेलवी, खोलो नहीं सदनाव हो ॥ प्री० ॥ श्रावतां श्राव कहो नहीं, जातां कहो नहीं जाव हो ॥ प्री० ॥ करण ॥२॥ थश्वेग अण उलखू, न धरो कांश् सने ह हो ॥ प्री० ॥ वारी जाउं लखवार हूं, मुजरोख्यो गुण गेह हो ॥ प्री० ॥ कर ॥ ३ ॥ दासी हूं पा यें पहुं, थे महारा सिररा मोम हो ॥ प्री० ॥ थे जी वणरी उषधी, कुण करे तुमची हार हो ॥प्री० ॥ करण ॥४॥ किम सरसे बोल्या विना, प्रगटे डे थ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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