Book Title: Lord Mahavira Vol 01
Author(s): S C Rampuria
Publisher: Jain Vishva Bharati Institute

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Page 181
________________ 172 Lord Mahâvîra confirmation. We find this same kind of initiation described at the beginning of the Chapter of Caritra in the Pravacanasara of Kundakunda. Both niraticara and saticara Chedopasthapana is dealt with here, although the commentators have generally missed the point and have got confused with the two meanings of Cheda. The following verses are particularly noteworthy: आदाय तं पिलिंग गुरूणा परमेण तं नमंसित्ता । सोच्चा सवदं किरियं उवट्ठिदो होदिसो समणो ||७|| वद-समिदिंदियरोधो लोचावस्सयमचेलमणहाणं । खिदिसयणमदंतवणं ठिदिभोयणमेगभत्तं च ||८|| दे खलु मूलगुणा समणाणं जिणवरेहि पण्णत्ता । ते सुडपमत्तो समणो छेदोवट्ठाणगो होदि ।।६।। छेदेसु अ वध्गा सेसा णिज्जावगा समणा ।। १० ।। On these verses a few remarks of the commentator Amritachandra may also be noted; ततः सर्व-सावद्य योग-प्रत्याख्यान लक्षणैक - महाव्रत श्रवणात्मना श्रुतज्ञाशनेन समये भवन्तमात्मानं जानन् सामायिकमधिरोहति । ततः समस्तावद्य - कर्मायतनं कायमुत्सृज्य यथाजातरूपं स्वरूपमेकमेकाग्रेणामाम्व्य व्यवतिष्ठमान उपस्थितो भवति । उपस्थितवस्तु सर्वत्र समदृष्टित्वाच्छ्रमणो भवति ||७|| सर्व-सावद्य-योग-प्रत्याख्यान- लक्षणैकमहाव्रतव्यक्तवशेन हिंसानृत- स्तेयाब्रह्मपरिग्रह-विरत्यात्मकं पञ्चतयं व्रतं तत्परिकरश्च पञ्चतयी समितिः पञ्चतय इन्द्रियरोधः... विकल्पेनात्मानमुपस्थापयन छेदोपस्थापको भवति ।। ८-६।। यतो लिंग-ग्रहण काले निर्विकल्प - सामायिक - संयम- प्रतपादकत्वेन यः किलाचार्यः प्रव्रज्यादायकः सगुरूः यः पुनरन्तरं सविकल्प - छेदोपस्थापन-संयम-प्रतिपादकत्वेन छेव प्रत्युपस्थापकः स नियापकः । यो ऽपि छिन्न-संयम-प्रतिसंधान-विधान प्रतिपादकत्वेन छेदेसति उपस्थापकः सोऽपि निर्यापक एव । ततश्छेदोपस्थापकः परोऽप्यस्ति ।।१०।। We may not pay our attention to Caujjama which looks so large in the Ardha-Mâgadhi literature in connection with the teachings of Pârsvanâtha. Unfortunately it is nowhere made clear what is exactly meant by that word, except once in Thânanga (S. 329) where the four are enumerated as सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, एवं मुसावायाओ, अदिन्नादाणाओ, सव्वाओ वहिद्धादाणाओ वेरमणं ।

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