Book Title: Lok Tattva Nirnaya Ek Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Jitendra Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 5
________________ ५२ अनुसंधान-१७ • 194 करवानी सलाह आपे छे. तेओ जणावे छे के भव्याभव्य-विचारो न हि युक्तोऽनुग्रह-प्रवृत्तानाम् । कामं तथा पि पूर्व परीक्षितल्या बुधैः परिषद् ॥ उपकार करवा माटे प्रवृत्त थयेल महात्माओए श्रोता योग्य छे के अयोग्य छे तेवो विचार करवो उचित नथी छतां बुद्धिमान पुरुषोए पहेला सभानी परीक्षा सारी रीते करवी जोईए. आ नानकडी कृतिना केटलाक श्लोक भगवद्गीतामांथी उद्धृत करवामां आव्या छे. श्लोक अ. श्लोक १३-०१ १५-०१ १५-१६ ०५-१४ ०२-२३ ०२-२४ ०६-०५ प्र. श्लोक ७०-७१ सांख्यकारिकामांथी (श्लो. २२, ३) उद्धृत करवामां आव्या छे. बीजा विभागनो प्रारंभिक भाग श्वेताश्वतर उपनिषद् साथे (आ. ३. १५) साथे यस्मात् परं (३.९) साथे साम्य धरावे छे. तदेजति तन्नजति तद् दूरे तदु अन्तिके । तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥ पद्य ईशावास्य उपनिषद् (श्लो.५)मांथी लेवामां आवेल छे. बीजा भागनो एतावानेव लोकोऽयं थी शरू थतो ३३मो श्लोक षड्दर्शन समुच्चयनो ८१मो श्लोक छे. ग्रंथना बाह्य स्वरूप संबंधी उक्त चर्चा बाद हवे ग्रंथना आंतरिक स्वरूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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