Book Title: Lok Tattva Nirnaya Ek Samikshatmaka Adhyayan Author(s): Jitendra Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ अनुसंधान-१७ • 197 धरावनार कोईपण होय ते अमारा माटे देव छे तेम जणाव्युं छे. आ ज वातने तेमणे नीचेना बे श्लोक द्वारा रजू करी छे. पक्षपातो न मे वीरे, न द्वेषः कपिलादिषु । युक्तिमद्वचनं यस्य, तस्य कार्यः परिग्रहः ॥ मने महावीर स्वामी प्रत्ये पक्षपात नथी के कपिलादि प्रत्ये द्वेषभाव नथी परंतु जेनुं वचन मने युक्तिवाळु लागे छे ते देवोनो मारे स्वीकार करवो योग्य जणाय छे. तथा यस्य निखिलाश्च दोषा, न सन्ति सर्वे गुणाश्च विद्यन्ते । ब्रह्मा वा विष्णुर्वा, हरो जिनो वा नमस्तस्मै ॥" जे देवोमां सर्व दोषोनो अभाव होय, अने सर्व सद्गुणो होय तेवा देव पछी ते ब्रह्मा होय, विष्णु होय, महेश्वर होय के जिन अरिहंत होय तेने मारा नमस्कार हो. आम देव माटे उक्त गुणोनी आवश्यकता दर्शावी देवतत्त्व संबंधी प्रकरण समाप्त कर्यु छे. जगत संबंधी विविध मान्यता : दार्शनिक क्षेत्रे बीजो महत्त्वनो प्रश्न जगतना स्वरूप संबंधी छे, जगत केतुं छे ? सादि छे ? सांत छ ? नित्य छे ? अनित्य छे ? कृत्रिम छे ? के अकृत्रिम छे ? जेवा अनेक प्रश्नोमांथी अनेक अनेक विचारधाराओ उद्भवी छे. ते विचारधाराओनो उल्लेख करी आ. हरिभद्रसूरि तेमनी समभावयुक्त दृष्टिनी परीक्षा करे छे. पौराणिक मतो अने दार्शनिक मतोनो अहीं संग्रह करवामां आव्यो छे. सृष्टिवादी जगतने कृत्रिम माने छे. माहेश्वरादि मतवाळा समस्त जगतने सादिसांत माने छे. ईश्वरवादीओ जगतने ईश्वरकृत माने छे. पौराणिकमत माननाराओ जगतने चंद्र अने अग्निथी निष्पन्न थयेलुं माने छे. वैशेषिक द्रव्यादि छ भेदवाळु माने छे. केटलाक काश्यपोत्पन्न, केटलाक ब्रह्मा, विष्णु अने महादेव कृत, केटलाक मनुष्य द्वारा निर्मित, केटलाक काळथी उत्पन्न, सांख्य मतावलंबीओ प्रकृति अने पुरुषोमांथी बनेल, बौद्ध मतावलंबीओ शून्यमांथी उद्भवेल माने छे तो केटलाक बौद्धो आ जगतने विज्ञानमात्र माने छे. केटलाक आत्मामांथी बनेल, दैवना प्रभावथी उत्पन्न, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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