Book Title: Lok Tattva Nirnaya Ek Samikshatmaka Adhyayan Author(s): Jitendra Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ अनुसंधान-१७• 196 अत्यारे तो साक्षात् ऋषभदेव, विष्णु, महादेव के ब्रह्मा देखाता नथी. मात्र तेमनां स्वरूप अने गुण- वर्णन ते ते शास्त्रोमां वर्णववामां आव्यु छे. ते जाणी तेमां देवत्वनो विचार करवो जोईए. तेमां निंदानो आश्रय शा माटे लेवो ? आम आचार्यश्री पक्षपात रहित थई युक्तियुक्त विचारणा करवानुं जणावे छे. अने तेवी विचारणाने अंते जे निष्पन्न थाय ते ग्रहण करवू जोईए. आम तेमणे दार्शनिक क्षेत्रे समदर्शी बनवा अने अन्यना विचाराने जाणवा समजवान आह्वान आप्युं छे. पोताना दर्शनसम्मत विचारोने सत्य मानी वळगी न रहेतां तेनी पण विचारणा करी पछी ज स्वीकार करखो जोईए. देवसंबंधी विभिन्न विचारधाराओ : दार्शनिक क्षेत्रे चर्चाना मुख्य विषयो जीव, जगत अने ईश्वर छे. जीव, जगत अने ईश्वर एक छे के अनेक, नित्य छे के अनित्य ? जेवा अनेक प्रश्नो उपस्थित करवामां आव्या छे. तेमांथी विभिन्न विचारधाराओ उद्भवी छे. आ. हरिभद्रसूरिए अहीं तेमना समय सुधीनी अनेक विचारधाराओनो उल्लेख कर्यो छे. सम्यक् विचारणा करवी जोईए एम जणाव्या पछी ते दर्शन सम्मत देवोनी मान्यता अंगे खूब ज संक्षेपमा उल्लेख कर्यो छे. देवतत्त्व- स्वरूप दयाळु, कृपाळु, संरक्षक जेवा दिव्यगुणो युक्त छे. ते देवतत्त्वमां भयंकरता, संहारकता, निर्दयता, क्रूरता केम घटी शके ? जो आवां भयंकर तत्त्वो तेमां होय तो तेने देव केम कही शकाय ? ते ज वातने अहीं ग्रंथकारे जणावी छे. विष्णु, महादेव, शक्रादि देवो, बलभद्र, कार्तिकस्वामी, अंबिकादेवी, गणपति, सूर्य, अग्नि, चंद्र, आदि देवोनुं स्वरूप ज रागयुक्त के द्वेषयुक्त जणाय छे तो तेमने देव केम कही शकाय ? जेनामां रागरहितता, दोष-विरहितता, सर्वज्ञत्व, समभाव आदि गुणो होय ते ज साचा देव छे. देवनुं स्वरूप जणावतां कहे छे के जेओ हमेशा प्राणीओनुं कल्याण इच्छनार छे, जेओ निरंतर उपकार करनार छे, घणी बधी व्याधिओ अने पीडाओथी व्यास आ जगतने सुखी करवानी एक मात्र कामनावाळा छे, ज्ञेय पदार्थने साक्षात् जोई शके छे, जे यथार्थवादी होय तेने ज देव मानवा जोईए. आम देवनी व्याख्या करी आवा गुणो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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