Book Title: Leshya aur Manovigyan
Author(s): Shanta Jain
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 10
________________ म 125 - 144 * * 145-161 * * * * * * * वर्ण : व्यक्तित्व की गुणात्मक पहचान क्या आभामण्डल दृश्य है ? पंचम अध्याय : व्यक्तित्व और लेश्या व्यक्तित्व की परिभाषा व्यक्तित्व निर्माण के घटक : निमित्त और उपादान • वंशानुक्रम • वातावरण/परिवेश • शरीर रचना - संहनन, संस्थान ० नाड़ी ग्रन्थि संस्थान • शरीर रसायन व्यक्तित्व प्रकार षष्ठम अध्याय : संभव है व्यक्तित्व बदलाव उत्तरदायी कौन ? परिपक्व व्यक्तित्व लेश्याविशुद्धि : व्यक्तित्व बदलाव मूर्छा का आवर्त टूटे आत्मना युद्धस्व त्रिसूत्री अभ्यास धर्मध्यान में प्रवेश दमन नहीं : शोधन सप्तम अध्याय : जैन साधना पद्धति में ध्यान ध्यान क्या ? ध्यान के भेद-प्रभेद ध्यान की पूर्व तैयारी प्रेक्षाध्यान : देखने और जानने की प्रक्रिया कायोत्सर्ग , अन्तर्यात्रा, श्वासप्रेक्षा शरीर प्रेक्षा, चैतन्यकेन्द्र प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा अष्टम अध्याय : रंगध्यान और लेश्या आवरणशुद्धि और करणशुद्धि बुराइयां कहाँ पैदा होती हैं ? मस्तिष्क के श्रेष्ठ रंग रंगध्यान का मुख्य उद्देश्य निषेधात्मक भावों का निषेधक : रंगध्यान शुभलेश्या का ध्यान उपसंहार सन्दर्भ ग्रन्थ सूची For Private & Personal Use Only * R 163 - 194 * * * * 195 -207 * * * * * * 209 - 221 223 -228 www.jainelibrary.org Jain Education Intemational

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