Book Title: Krodh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 12
________________ क्रोध क्रोध निकालते आये हैं, पर वह जाता क्यों नहीं?" इस पर मैं ने कहा कि,"आप क्रोध निकालने के उपाय नहीं जानते हैं।" उसने कहा कि, "क्रोध निकालने के उपाय तो शास्त्र में लिखें हैं, वे सभी करते हैं, फिर भी क्रोध नहीं जाता।" तब मैं ने कहा कि, "सम्यक् उपाय होना चाहिए।" तब कहे कि, "सम्यक् उपाय तो बहुत पढे, पर उसमें से कुछ काम नहीं आता।" फिर मैं ने कहा कि, "क्रोध को बंद करने का उपाय खोजना मूर्खता है, क्योंकि क्रोध तो परिणाम है। जैसे आपने परीक्षा दी हो और रिजल्ट आया। अब मैं रिज़ल्ट को नष्ट करने का उपाय करूँ, उसके समान बात हई। यह रिजल्ट आया वह किसका परिणाम है ? हमें उसमें बदलाव करने की आवश्यकता है।" इसलिए यदि हमें पता चले कि किसी ने जान-बूझकर नहीं मारा, तो वहाँ क्रोध नहीं करता। फिर कहता है, "मुझे क्रोध आ जाता है। मेरा स्वभाव क्रोधी है।" मुए, स्वभाव से क्रोध नहीं आता। वो पुलिसवाले के सामने क्यों नहीं आता? पुलिसवाला धमकाये, उस समय पुलिसवाले पर क्रोध क्यों नहीं आता? उसे पत्नी पर गस्सा आता है, बच्चों पर क्रोध आता है, पड़ौसी पर, अन्डरहेन्ड (सहायक) पर क्रोध आता है और 'बॉस' पर क्यों नहीं आता? क्रोध यूँ ही स्वभाव से मनुष्य को नहीं आता है। यह तो उसे अपनी मनमानी करनी है। प्रश्नकर्ता : किस प्रकार उसे कंट्रोल करें? दादाश्री : समझ से। यह जो आपके सामने आता है, वह तो निमित्त है और आपके ही कर्म का फल देता है। वह निमित्त बन गया है। अब ऐसा समझ में आये तो क्रोध कंट्रोल में आयेगा। जब पत्थर पहाड़ पर से गिरा, ऐसा देखते है, तब आप कंट्रोल रख सकते है। तो इसमें भी समझ रखने की जरूरत है कि भाई, यह सब पहाड़ के समान है। रास्ते में कोई गाड़ीवाला गलत तरीके से रास्ते पर हमारे सामने आता हो, तो भी वहाँ नहीं लड़ेंगे? क्रोध नहीं करेंगे? क्यों? हम टकराकर उसे तोड़ देंगे? ऐसा करेंगे? नहीं। तो वहाँ क्यों नहीं करता? वहाँ सयाना हो जाता है कि मैं मर जाऊँगा। तब उससे ज्यादा तो यहाँ क्रोध करने में मर जाते हो, पर यह चित्रपट नज़र नहीं आता और वह खला दिखाई देता है, इतना ही फर्क है ! वहाँ रोड पर सामना नहीं करता? क्रोध नहीं करता, सामनेवाले की भूल होने पर भी? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : वैसा जीवन में भी समझ लेने की ज़रूरत है। परिणाम तो, कारण बदलने पर ही बदलें एक भाई मुझ से कहता है कि, "अनंत अवतारों से यह क्रोध हमारे लोग क्या कहते है कि, "क्रोध को दबाओ, क्रोध को निकालो।" अरे! ऐसा क्यों करता है? बिना वज़ह दिमाग खराब करते हो! ऐसा कहने पर भी क्रोध निकलता तो है नहीं! फिर भी वे कहेंगे कि, "नहीं साहिब, थोड़ा-बहुत क्रोध दब तो गया है।" अरे, वह अंदर है वहाँ तक उसे दबा हुआ नहीं कहते। तब उस भाई ने पूछा कि, "तब आपके पास दूसरा कोई उपाय है?" मैं ने कहा, "हाँ, उपाय है, आप करेंगे?" तब उसने कहा, "हाँ।" तब मैं ने बताया कि, "एक बार नोट करें कि इस संसार में खास कर किसके ऊपर क्रोध आता है?" जहाँ जहाँ क्रोध आये, उसे नोट कर लें और जहाँ क्रोध नहीं आता हो उसे भी जान लें। एक बार लिस्ट बना लें कि इस मनुष्य के साथ क्रोध नहीं होता। कुछ लोग उल्टा करें तो भी उन पर क्रोध नहीं आता और कुछ तो बेचारे सीधा करते हो, फिर भी उन पर क्रोध आता है। इसलिए कुछ कारण तो होगा न?" प्रश्रकर्ता : उसके लिए मन में ग्रंथि बंध गई होगी? दादाश्री : हाँ, ग्रंथि बंध गई है। उस ग्रंथि को छुड़ाने को अब क्या करें? परीक्षा तो दे दी। जितनी बार जिसके साथ क्रोध होनेवाला है. उतनी

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