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क्रोध
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क्रोध
शुद्धात्मा को याद करके मन में ही माफ़ी माँग लेना। हजारों में कोई दस आदमी ऐसे निकलेंगे कि माफ़ी माँगने से पहले ही झक जायें।
प्रतिक्रमण यही सच्चा मोक्षमार्ग पहले तो दया रखिए, शांति रखिए, समता रखिए, क्षमा रखिए, ऐसा उपदेश सिखाते है। तब यह लोग क्या कहते है "अरे! मुझे क्रोध आता रहता है और तू कहता है कि क्षमा रखिए, पर मैं किस प्रकार क्षमा रखू?" इसलिए इनको उपदेश किस प्रकार दिया जाना चाहिए कि आपको क्रोध आने पर आप इस प्रकार मन में पछतावा करें कि मेरी क्या कमजोरी है कि मुझ से ऐसा क्रोध हो जाता है। तो मुझ से गलत हो गया, ऐसा पछतावा करना और यदि ऊपर कोई गुरु हो तो उनकी मदद लेना और फिर से ऐसी कमजोरी पैदा न हो, ऐसा निश्चय करना। आप अब क्रोध की रक्षा मत करना, ऊपर से उसका प्रतिक्रमण करना।
नकद परिणाम, हार्दिक प्रतिक्रमण के प्रश्रकर्ता : किसी के ऊपर भारी क्रोध हो गया. फिर बोलकर चप हो गये. बाद में यह जो बोले उसके लिए जी बार-बार जलता रहे, तो उसमें एक से अधिक प्रतिक्रमण करने होंगे?
इसलिए दिन में कितने अतिक्रमण होते हैं और किसके साथ हुए, उसे नोट करते रहना और उसी समय प्रतिक्रमण कर लेना।
प्रतिक्रमण में हमें क्या करना होगा? आपको क्रोध हुआ और सामनेवाले मनुष्य को दुःख हुआ, तो उसकी आत्मा को याद करके उससे क्षमा मांग लेना। अर्थात जो हुआ उसकी क्षमा माँग लेना और फिर से नहीं करूँगा ऐसी प्रतिज्ञा करना, और आलोचना करना यानी क्या, कि हमारे पास दोष जाहिर करना कि मेरा यह दोष हो गया है।
मन में भी माफ़ी माँगिए प्रश्नकर्ता : दादाजी, पश्चाताप या प्रतिक्रमण करते समय कई बार ऐसा होता है कि कोई भूल हो गई, किसी पर क्रोध आ गया. तब भीतर दुःख होता है कि यह गलत हो गया, पर सामनेवाले से माफ़ी माँगने की हिम्मत नहीं होती।
दादाश्री : ऐसे माफ़ी माँगनी ही नहीं, वर्ना वे फिर उसका दुरुपयोग करेंगे। "हाँ, अब आई न ठिकाने पर?" ऐसा है यह ! नोबल (खानदान) जाति नहीं है! ये माफ़ी माँगने लायक मनुष्य नहीं है! इसलिए उसके
दादाश्री : उसमें दो-तीन बार सच्चे दिल से प्रतिक्रमण करें और एकदम चौकसी के साथ हुआ तो पूर्ण हो गया। "हे दादा भगवान ! मुझ से जबरदस्त क्रोध हुआ, सामनेवाले को भारी कष्ट पहुँचाया, उसकी माफ़ी चाहता हूँ। आपके रूबरू बहुत माफ़ी माँगता हूँ।"
गुनाह लेकिन बेजान प्रश्नकर्ता : अतिक्रमण से जो उत्तेजना होती है, वह प्रतिक्रमण से शांत हो जाती है?
दादाश्री : हाँ, शांत हो जाती है। चिकनी फाइल(गाढ़ा हिसाब) होने पर तो पाँच-पाँच हजार प्रतिक्रमण करने पड़ते हैं, तब शांत होता है। गुस्सा बाहर नहीं आया हो और व्याकुलता हो गई हो, तो भी हम उसके लिए प्रतिक्रमण नहीं करें तो उतना दाग़ हमें रह जायेगा। प्रतिक्रमण करने पर साफ हो जाता है। अतिक्रमण किया इसलिए प्रतिक्रमण कीजिए।
प्रश्नकर्ता : किसी के साथ क्रोध हो जाने के बाद ख़याल में आया और उसी क्षण पर हम उनकी माफ़ी माँग ले, तो वह क्या कहलाये?
दादाश्री : अभी ज्ञान लेने के बाद क्रोध हो जाये और फिर माफ़ी माँग लें, तो कोई हर्ज नहीं। मुक्त हो गया! और ऐसे रूबरू माफ़ी नहीं माँग सके ऐसा हो तो मन में माँग ले, तो हो गया।