Book Title: Konik Raj Samhaiyu
Author(s): Tirthtraiyi
Publisher: ZZ_Anusandhan
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अनुसन्धान ५२
आव्या मंगलशब्दस्युं, जिहां पटहस्ति ठाय ॥६॥
सर्वगाथा ॥१६०॥ ढाल-९ आवो जमाइ प्राहुणा जयवन्ताजी ॥ओ देशी॥ साम्हइयुं विस्तारथी ॥ सुणो संताजी ॥ कहुं सूत्र अनुसार ॥ गुणवंताजी ॥ कोणीक पटहस्ति चढ्यो ॥ सुणो० ॥ सैन्य सज्जु तिणी वार ॥१॥ गुण० ॥ राजेश्वर ईभ्य तलवरा ॥ सुणो० ॥ सेठ सेनापति दूत ॥ गुण० ॥ कुटम्बिक माडम्बिया ॥ सुणो० ॥ सुभट वडा रजपूत ॥२॥ गुण० ॥ सन्धिपाले परिवर्यो । सुणो० ॥ ग्रहगणमां जिम चन्द ॥ गुण० ॥ आठ मंगल आगल चलें ॥ सुणो० ॥ प्रथम परमानन्द ॥३॥ गुण० ॥ साथिओ (१) श्रीवत्स (२) नन्दावर्त (३) ॥ सुणो० ॥ सरावसम्पुट (४) ठाठ
॥गुण०॥ भद्रासन (५) वरकुम्भ (६) छे ।। सुणो० ।। मच्छ (७) दर्पण (८) ओ आठ
॥४॥ गुण ॥ पूर्णकलश जलझारिओ ॥ सुणो० ॥ उंची करी वैजयन्त ॥ गुण० ॥ छत्र चामरयुत गुरु ध्वजा ॥ सुणो० ॥ अनुक्रमे सर्व चलन्त ॥५॥ गुण० ॥ पादपीठ पावडी धरा ॥ सुणो० ॥ रयण सिंहासन खास ॥ गुण० ॥ ओ सघलां लेइ चालिया ॥ सुणो० ॥ किंकर दासी दास ॥६॥ गुण० ॥ लष्टि-कुन्त-खडग धरा ॥ सुणो० ॥ चामर चाप ने पास ॥ गुण० ॥ पुस्तक व्यय उपज तणा ॥ सुणो० ॥ भाजन तैल सुवास ॥७॥ गुण० ॥ पुंगीफल ताम्बुल ग्रहा ॥ सुणो० ॥ योगी जटा धरनार ॥ गुण० ॥ चित्रफलक हासिकरा ॥ सुणो० ॥ मोरपिंछ वेहनार ॥८॥ गुण० ॥ चाटुवाद कन्दपिया ॥ सुणो० ॥ भांड भखंत हसन्ता ॥गुण० ॥ वीणा वाजिन गायना ॥ सुणो० ॥ केइ जन हास्य नचन्ता ॥९॥ गुण० ॥ कौतकिया रण हुसिया ॥ सुणो० ॥ जय जय शब्द करन्त ॥ गुण० ॥ वेग ललित लंघे खाइ ॥ सुणो० ॥ भुषण लक्षणवन्त ॥१०॥ गुण० ॥ चामर छत्र अलंकर्या ॥ सुणो० ॥ अकसो आठ तुरंग ॥ गुण० ॥ कुतील अनुक्रमे चालता ॥ सुणो० ।। उच समा शुचि अंग ॥११॥ गुण० ॥

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