Book Title: Konik Raj Samhaiyu
Author(s): Tirthtraiyi
Publisher: ZZ_Anusandhan
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८८
रथशालिकने रथतणो, नगरतणो कोटवाल । बलवाहक सेनपती, इंम सुंप्या अधिकार ॥५॥
ढाल - ८ : जयो जिन नेमजी से || ओ देशी ॥ हस्तिरतन शणगारतो अ, उज्जल वेश विशाल । कवच शिर झुल्य छे अ, घण्टा घुघर माल ॥१॥
अनुसन्धान ५२
हरख हइयडें घणो ओ.....
अम्बाडी अम्बर अडी ओ, रत्न जडीत झलकन्त । कसेलां दोरडां अ, ग्रीवा भरण महन्त ||२|| हरख० ॥ कान आभूषण दीपतां अ, शिर सिंदूर सोहन्त ।
सरल कंचनमयी अ, गीरी दाढा दोय दन्त ||३|| हरख० ||
१९ कृष्णवरण चामर धर्या अ, मद गंधे झंकार ।
करे वलि अलि मली अ, तास वरणे अन्धकार ||४|| हरख० ॥
चाप प्रमुख शस्त्रे भर्यो अ, जिम रण थम्भ मनाक । गिरी शिर सेहरो अ, छत्र सध्वज सपताक ||५|| हरख० ॥
घण्टा युगल ते वीजली अ, मेघ समो करि श्याम । पवनजय वेगमां अ, पटहस्ति जस नाम ||६|| हरख० || घोडा रथ भट इंणि परे अ, सैन्य सजी चतुरंग । कहे सेनानीनें ओ ओ तुम आणि अभंग ||७|| हरख० || यान शालिक वाहन सजे ओ, यान शालाने बार । अन्तेउर कारणें अ, वस्त्रावृत अपहार ॥८॥ हरख० ॥ समलादिक छत्री धरीओ, यान शकट रथ जोय । कनक भुषण जड्यां अ, वृषभ जोतरिया दोय ||९|| हरख० ॥
निज निज सारथिने ठवी, सन्मुख मार्गे करन्त ।
पछें सेनानी ओ, भाखे सकल उदन्त ||१०|| हरख० ॥
हाट सजे हीरागले अ, मंचातिमंच कमाल ।
अशुचि कढावता अ, सुभट सहित कोटवाल ||११|| हरख० ॥
सीत सुगन्धी जल छटा अ, तिग चउ चच्चर ठाम | धाम परिव्राजका अ, आगन्तुक आराम ॥ १२ ॥ हरख० ॥

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