Book Title: Konik Raj Samhaiyu
Author(s): Tirthtraiyi
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
सप्टेम्बर २०१०
९१
दन्त लघु कंचन मढ्या ॥ सुणो० ॥ कांइक उंच प्रमाण ॥ गुण० ॥ शणगार्या कुंजर चलें । सुणो० ॥ ते पण अडसय मान ॥१२॥ गुण० ॥ घण्ट धजा सपताकाओ ।। सुणो० ॥ तोरण चमर सचित्र ॥ गुण० ॥ नन्दीघोष द्वादशविधा ॥ सुणो० ॥ ते सघलां वाजित ॥१३॥ गुण० ॥ शक्ति त्रिशूल असि शर भरियां ॥ सुणो० ॥ बहु संग्रामिक शस्त्र ॥ गुण० ॥ ओकसो आठ ते रथ सज्यां ॥ सुणो० ॥ सारथी हययुत छत्र ॥१४॥ गुण० ।। कोणीक चेटक रण समें ॥ सुणो० ॥ सैन्य प्रमाण सुभाख ॥ गुण० ॥ गज रथ तेत्रीस सहस छे । सुणो० ॥ घोडा तेत्रीस लाख ॥१५॥ गुण० ॥ पाला तेत्रीस कोडि कह्या ॥ सुणो० ॥ हवणां मान न कीध ॥ गुण० ॥ शंख पडह भेर झल्लरि ॥ सुणो० ॥ मार्दल दुन्दुभि सिद्ध ॥१६॥ गुण० ॥ हस्तिखन्धे नरपती ॥ सुणो० ॥ मेघाडम्बर छत्र ॥ गुण० ॥ फूलमाल ते उपरे ॥ सुणो० ॥ सूरय इन्द चरीत्र ॥१७|| गुण० ॥ पग पग गुडी उछलें ॥ सुणो० ॥ बिरुद पठंते छात्र ॥ गुण० ॥ केता नर कर वींझणा ॥ सुणो० ॥ पाटि चलें नचे पात्र ॥१८॥ गुण० ॥
सूत्र - ३१ चम्पामांहि चालतां ॥ सुणो० ॥ याचक लेता दान ॥ गुण० ॥ लांगल गल धारक भटा ॥ सुणो० ॥ खन्ध बाल वर्धमान ॥१९॥ गुण० ॥ मुह मंगलीय नरा भणें ॥ सुणो० ॥ चिरंजीवो नरइन्द ॥ गुण० ॥ भूपमां भरत नरेसरू ॥ सुणो० ॥ तारागणमां चन्द ॥२०॥ गुण० ॥ त्रिण खण्ड भोक्ता पणे ॥ सुणो० ॥ विपुल भोगे जयन्त ॥ गुण० ॥ मुगट बन्ध राजा चलें ॥ सुणो० ॥ हय गय निज परितन्त ॥२१॥ गुण० ॥ कृष्णागर कुन्दरूकना ॥ सुणो० ॥ धूपघटी महकन्त ॥ गुण० ॥ कंसताल ग्रही घुमता ॥ सुणो० ॥ आगे निशान झगन्त ॥२२॥ गुण० ॥ नयन वदन माला करी ॥ सुणो० ॥ जोता \णता लोक ॥ गुण० ॥ मनोरथ हृदय आणन्दता ॥ सुणो० ॥ नरनारिना थोक ॥२३॥ गुण० ॥ अंजली श्रेणें प्रणमता ॥ सुणो० ॥ पत्र धरवा नहीं ठाम ॥ गुण० ॥ देव देवी रवि चन्द्रमा ॥ सुणो० ॥ जुइं गगन रही ताम ॥२४॥ गुण० ॥

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28