Book Title: Kayakalp Man nu Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Anekant Bharati Prakashan View full book textPage 6
________________ प्रस्तुति कायाकल्पनी पद्धति घणी जूनी छे, काया ज्यारे जीर्ण थाय छे, त्यारे तेनो कल्प करवामां आवे छे. औषधीय उपचार, रसायण अने भूगृहनी शरणमां रहीने मानवी पोतानी जीर्ण-शीर्ण कोशिकाओने नवीन बनावी ले छे. कोशिकाओमां नवीन बनवानी सहज शक्ति छे. प्रयोग द्वारा तेनुं नवीनीकरण वधु गतिशील बनी जाय छे. मन पण घसाई - घसाईने जूनुं थई जाय छे. तनाव (ताणTension)ने लीधे ते जीर्ण-शीर्ण थई जाय छे, ते वृद्ध मनने कल्प द्वारा यौवन बक्षी शकाय छे. कल्पनी पद्धति छे परम आत्मा साथे तादात्म्यनो अनुभव अने आराधना. जयाचार्ये तेनी पद्धति बतावी छे. में तेने आजना संदर्भमां प्रस्तुत करी छे. आ बधुं आचार्य तुलसीना सान्निध्यमां थयुं छे. निमित्त बन्यो प्रेक्षाध्यान शिबिर, ते शब्दोनुं संकलन-संपादन मुनि दुलहराजजीए कर्तुं छे, पाठको माटे कायाकल्पनुं विधि-विधान प्रस्तुत थई गयुं छे. १-१-१९८२ सरदार शहर राजस्थान Jain Educationa International युवाचार्य महाप्रज्ञ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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