Book Title: Kavyanushasanam
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 9
________________ ११६ अनुसन्धान- ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ 'साका' तरीके ओळखावी छे. सर्ग, लम्बक, लम्भक, साक, तरङ्ग a मध्यम कदनी तथा मोटी कथाओना खण्डो के विभाग माटे चर्चाय छे. आम, 'कान्हडदेप्रबन्ध'ने अन्य आधारे वीरगाथा माटे 'प्रबन्ध' के पछी 'पवाडो' वापरीओ छीओ, ते आ दृष्टि संशोधनपूर्ण पुख्त चर्चा- विचारणा - निराकरण मागे छे ने तेमां हेमचन्द्राचार्यना आठमा अध्यायने दृष्टिमां राखवो उपयोगी बनशे. नाटक, रूपक वगेरेनी पण चर्चामां अनेक प्रकारो सेवा छे, जेमां ते काळनी गुजरातनी प्रशिष्ट ने लोक बन्ने रङ्गमंचीय कलाओने अनां मूळ सा जाणवानी महत्त्वनी सामग्री छे. अध्याय : ८नुं ओक नवं, दृष्टिपूर्ण अने संशोधनमां खूब ज अनिवार्य रूपमां उपयोगी कार्य छे ते १. उपाख्यान अने २. आख्यान पछीना कुल नव (९) कथाप्रकारो ३. निदर्शन ४. प्रवल्हिका ५ मन्थल्लिका, ६. मणिकुल्या छे. पछीना ९ सकलकथा १० उपकथा अने ११ बृहत्कथा पण कथानकना कद वगेरेनी दृष्टि तथा स्वरूपनी दृष्टि महत्त्वनां छे. 'आख्यान' सन्दर्भे सूत्र २०३ अनुषङ्गे लख्युं छे : 'प्रबन्धमध्ये परबोधनार्थं नलाद्युपाख्यानमिवोपाख्यानमभिनयन् पठन् गायन् यदेको ग्रन्थिक : कथयति तद् गोविन्दवदाख्यानम्'. प्रबन्ध - अटले के गद्य के पद्यमां बन्धायेली कथानी कृति. ओटले के महाभारत वगेरे. अमां अन्यने बोध आपवा माटे जे कथा कहेवाती होय तेने कोइ अक ग्रन्थिक स्वतन्त्र कृतिना रूपमां बांधे अने अभिनय, पठन, गान साथे / माटे ग्रन्थमां बान्धे आवी कथा ते आख्यान. भालणथी आरंभी प्रेमानन्द सुधीना आख्यानकारोनी रचनाओमां जे छे ते आ सूत्रमां छे. ओनो अर्थ से छे के दशमी - अगीआरमी सदीमां 'आख्यान' छे. आवी कृतिना पदबन्धमां गेय देशी ढाळ क्यारे वपरातो थयो, अना कडवकना अंगे कया कया तबक्के विकस्या : आ बाबत विशेष संशोधन मागे छे, परन्तु गुजरातीना जन्मना समये अपभ्रंशमां तेमज आचार्य श्रीनो ज बोली माटेनो पर्याय प्रयोजीने कही तो ग्राम्यभाषामां 'आख्यान' हतुं. अनो ज विकास पछीना तबक्के थयो. कथानी आन्तर-सामग्री Content of the tale अने तेनुं कृतिमां बंधाता रूपनी-ओटले के Form - दृष्टि निदर्शन, प्रवल्हिका, मन्थल्लिका,

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