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डिसेम्बर २०१०
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वृत्तान्तनुं वर्णन होय तेने परिकथा कही शूद्रककथा दृष्टान्तरूपे दर्शावी छे. आमां प्रेम, साहस, शौर्यनी अनेक कथाओनो समावेश थाय छे. नरवाहनदत्त, वसुदेव, धम्मिल, अगडदत्त वगेरेनी कथाओनो आ प्रकारमा समावेश थई शके. वीरगाथा, साहसशौर्यगाथा, प्रेमकथा वगेरे आ प्रकारमा आवे. 'फोकटेईल' माटे विश्वमान्य अवा स्टिथ थोम्प्सने पण लोककथाना प्रकारमा मिथ, लिजन्ड अने फॅरीटेईल मुख्य गणाव्या छे.
मध्यम अने मोटा कदनी कथाओगें विभागीकरण के वर्गीकरण खण्डकथा, सकलकथा, उपकथा अने बृहत्कथामां थाय छे. आमां खण्ड अने उप तथा सकल अने बृहत् बहु नजीकना प्रकारो छे. ओमना वच्चेनी भेदरेखा अत्यन्त सूक्ष्म के आछी-पातळी छे. परन्तु हेमचन्द्राचार्य आ भेद सचोट रीते, लाघवथी स्पष्ट करी आपे छे. जे कथामां पूर्वप्रचलित अने प्रसिद्ध अवा कथानकना आदि, मध्य के अन्तना कोई अंशने ज रजू करवामां आवे ते खण्डकथा कहेवाय. अनुं दृष्टान्त इन्दुमतीनी कथा. परन्तु विविध कथानकोने सांकळीने सम्पूर्ण कथानक सिद्ध थाय ते सकलकथा. अनुं दृष्टान्त समरादित्यकथा. कोई प्रसिद्ध कथाना कोई अेक पात्रने केन्द्रमा राखी कथानुं स्वतन्त्ररूपमा आलेखन थाय ते उपकथा. अनुं दृष्टान्त चित्रलेखा. अने कोई मोटी कथाने विविध लम्भकमां विभक्त करी अमां मुख्य पात्रनी अनेक घटनाओ साथे अन्य व्यक्तिओनी घटनाओ पण सांकळी लेवामां आवे ते बृहत्कथा. आनुं दृष्टान्त नरवाहनदत्तनी कथा.
'कथा' सन्दर्भे हेमचन्द्राचार्यना 'काव्यानुशासनम्'ना आठमा अध्यायनी सामग्री, अहीं केटलीक वीगत साथे दर्शन कर्यु, चर्चा करी, मेथी स्पष्ट थशे ज के गुजराती मध्यकालीन साहित्यना तेमज अनां ज केटलाक अंगो-अंशो कण्ठ परम्पराना साहित्यमां पण ऊतरी आज सुधी जळवायां तेनां दशमीअगीआरमी सदीनां मूळने पण वस्तुनिष्ठ लिखित दस्तावेजी रूपनी सामग्री छे. गुजरातनी साहित्य, संगीत, नृत्य, नाटक जेवी कोइ पण कलासंस्कृतिनां उद्भव-विकासने जाणवा माटे आ स्रोत ज प्रमाणभूत कही शकाय. गुजरातनी कला-संस्कृतिनां मूळ तो प्राचीनतम छे ज. १८ थी २२ लाख वर्ष पूर्वे पण गुजरात प्रदेशमां मानववसवाट हतो ओना पुरातत्त्वीय पुरावा मळ्या छे. जेटली