Book Title: Kavyanushasanam Author(s): Hasu Yagnik Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ डिसेम्बर २०१० ११५ (८/६)मां महाकाव्य- लक्षण बांधतां जणाव्युं छे के महाकाव्य मुख्यत्वे संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश तथा ग्राम्य भाषामां रचाय छे. अहीं नोंधपात्र छे ते 'ग्राम्यभाषा' अटले के मारु-गूर्जरमां बोलाती लोकबोली. ई. ८५०मां गुजराती जन्मी चूकेली अने 'कुवलयमाला' मां आ प्रदेशमां वसता लोकोमा अमे, तमे, भलु, बोलातुं लिखित दस्तावेजी रूपमां मळे छे. ओनो अर्थ ओ के हेमचन्द्राचार्य अने सिद्धराजनी व्यवहारभाषा तो बोलाती गुजराती ज हती, मारु-गूर्जर हती. अमां साहित्य पण रचवानी परम्परा न हती अथी संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंशमां रचायु. परन्तु हेमचन्द्राचार्य ज्यारे महाकाव्य अंगे सूत्र २०१मां ‘पद्यं प्रायः संस्कृतप्राकृतापभ्रंशग्राम्यभाषानिबद्धं' ओम लखे छे तेनो अर्थ ओ के ते समये जे मारु-गूर्जर Old Western Rajastani हती अमां पण 'वृत्तसर्गाश्वाससन्ध्यवस्कन्दबन्धं सत्सन्धि शब्दार्थवैचित्र्योपेतं' अवां महाकाव्यो रचातां हतां. अहीं ज स्पष्ट थशे के आचार्यश्रीओ मात्र लिखित अने प्रशिष्ट मनाती महाकाव्यनी परम्पराने ज दृष्टिमां राखीने सूत्रबद्ध नथी कयुं, बोलाती बोली वा भाषानी तत्कालीन प्रवाह-परम्पराने पण दृष्टिमां राखी छे. अहीं जेने Folkepic के बारोटी परम्परानुं Semi-literary epic कहीओ छीओ, Heroic Narrative तरीके उल्लेखीओ छीओ तेनो ज निर्देश ने सूत्र-व्याख्यामा समावेश छे. आचार्यश्रीने अमना समयनी जीवती लोकपरम्परानो प्रत्यक्ष परिचय अने अनुं पण साहित्यिक मूल्य स्वीकृत न होत तो ओमणे पण बीजांनी जेम, आवी लोक-परम्पराना साहित्यने मीमांसाग्रन्थमां समाविष्ट कर्यु न होत ! आ कारणे तथा अपभ्रंश-व्याकरण निमित्ते दृष्टान्तमां लोक-कण्ठपरम्पराना दुहाओ मूक्या छे. (आथी ज आ लखनारे अना गुजरातीमां लखायेला सर्वप्रथम Folkloristics, लोकविद्याविज्ञानमां, लोकविद् folkloristमां हेमचन्द्राचार्यने गुजरातना आदि लोकविद्याविद् तरीके दर्शाव्या छे.) लोकपरम्परानां विविध लोकमहाकाव्यो, जेनो आरम्भमां निर्देश को छे, तेमां 'सर्ग' माटे 'साक'नो प्रयोग थाय छे. आ शब्द वैदिक-काळनो छे. 'रुद्राष्टाध्यायी'ना त्रीजा अध्यायना पहेला ज मन्त्रमा 'शतम् सेना अजयत् साकम् इन्द्रः' सो सो योद्धाओ धरावती सेना पर विजय प्राप्त करवो ते इन्द्रनुं पराक्रम छे. आने आधारे ज जातिने उगारनार विजेता वीर माटे 'ओके हजारा' प्रयोग आजे पण थाय छे. अने आवा वीरनी 'साक' अटले के पराक्रमगाथाने 'निहालदे सुलतान' जेवा लोकमहाकाव्यमांPage Navigation
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