Book Title: Kashay
Author(s): Hempragyashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 2
________________ कारावास है यह जगत् जिसमें प्राणी अपनी कषाय-वृत्तियों की निबिड़ बेड़ियों में जकड़ा कराह रहा है। जब तक कलुषताओं की कालिख से वह मुक्त नहीं होगा নন ন दुःख की धायँ-धार्य करती लपटों से बच निकलनेकी कोई राह उसे नहीं मिलेगी। पीड़ा, गास, निराशा, चिन्ता की घुटन उसकी अस्मिता को निगले इससे पूर्व उसे आत्म-जागृति के द्वार पर दस्तक देनी होगीविहार करना होना सुख-शान्ति और समता के অলঃ ঠাঠাল और पाना होगा मुक्ति की दुर्लभ संपदा को। -साध्वी मणिप्रभाश्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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