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कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
शिकारी शौक करता है, उसको १५० % गुनाह हो गया। क्रिया एक ही प्रकार की है, मगर उसका गुनाह अलग अलग है।
प्रश्नकर्ता : किसी को दु:ख देकर जो प्रसन्न होता है, वो १५०% गुनाह करता है?
बुरा काम मेरे हिस्से कहाँ से आया। मुझे ऐसा काम नहीं चाहिए, मगर ये काम करना पडता है। मेरे को ये काम करनेका विचार नहीं है, मगर करना पडता है।' और अंदर के भगवान के पास ऐसी प्रार्थना करे तो उसको चोरी का फल नहीं मिलता है। जो गुनाह दिखता है, वो गुनाह करने के time अंदर क्या कर रहा है, वो देखने की जरूर है। वो time ऐसी प्रार्थना करता है, तो वो गुनाह, गुनाह नहीं रहेता है, वो छूट जाता $1 You are whole & sole responsible for your deeds! अभी जैसा करेगा, वैसा ही फल आगे आ जायेगा। वो तुम्हारा ही कर्म का फल है।
दादाश्री : वो शिकारी खुश हुआ, इससे ५० % ज्यादा हो गया। खुश नहीं होता तो १०० % गुनाह था और ये उसने पश्चाताप किया तो ८० % कम हो गया। जो कर्ता नहीं है, उसको गुनाह लगता ही नहीं है। जो कर्ता है उसको ही गुनाह लगता है।
प्रश्नकर्ता : तो अनजाने में पाप हो गया तो वो पाप नहीं है?
दादाश्री : नहीं, अनजाने में भी पाप तो इतना ही है। देखोने, वो अग्नि है, उसमें एक बच्चे का हाथ ऐसे गलती से पडा, तो कुछ फल देता है?
प्रश्नकर्ता: अभी अच्छा किया तो अगले जन्म में अच्छा ही मिलेगा कि ये जन्म में अच्छा मिलता है?
प्रश्नकर्ता : हाँ, बच्चा जल जाता है।
दादाश्री : फल तो सरीखा ही है। अनजाने करो या जानके करो, फल तो सरीखा ही है। मगर उसके भुगतने के time हिसाब अलग होता है। जब भुगतने का time आया तो जिसने जानबूझ कर किया है, उसको जानबूझ कर भुगतना पडता है और जिसने अनजाने किया, उसको अनजाने भुगतना पडता है। तीन साल का बच्चा है, उसकी mother मर गई और बाईस साल का लडका है, उसकी mother मर गई तो mother तो दोनों की मर गई मगर बच्चे को अनजानपूर्वक का फल मिला और वो लडके को जानपूर्वक का फल मिला।
प्रश्नकर्ता : आदमी इस जीवन में जो भी काम करता है, कुछ गलत भी करता है तो उसका फल उसको कैसे मिलता है?
दादाश्री : कोई आदमी चोरी करता है, इस पर भगवान को कोई हरकत नहीं है। मगर चोरी करने के time उसको ऐसा लगे कि 'इतना
दादाश्री : हा, ये जन्म में भी अच्छा मिलता है। आपको अभी उसका trial लेना है? उसका trial लेना हो तो एक आदमी को दोचार 'थप्पड' मार कर, दो-चार गाली देकर घर को जाना तो क्या होगा?
प्रश्नकर्ता : कुछ न कुछ तो result नीकलेगा।
दादाश्री : नहीं, फिर तो नींद भी नहीं आती है। जिसको गाली दिया, थप्पड मारा उसको तो नींद नहीं आती है, मगर अपने को भी नींद नहीं आती है। अगर आप उसको कुछ न कुछ आनंद करवा के घर गये तो आपको भी आनंद होता है। दो प्रकार के फल मिलते है। अच्छा किया तो मीठा फल मिलता है और किसी को बूरा बोला तो उसका कडवा फल मिलता है। किसी का बूरा मत बोलो, क्योंकि जीवमात्र में भगवान ही है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन अच्छा किया उसका फल ये जन्म में तो नहीं मिलता?
दादाश्री : वो अच्छा किया न, उसका फल तो अभी ही मिलता है। मगर अच्छा किया वो भी फल है। आप तो भ्रांति से बोलते है कि