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कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
है, तो उसको देना बंध कर दो।
कोई नुकसान करता है, जेब काटता है, तो वो सब तुम्हारा ही परिणाम है। वो जितना दिया था, उतना ही आता है। वो कायदेसर ही है सब, कायदे की बाहर दुनिया में कुछ नहीं है। जिम्मेदारी खुद की है। You are whole and sole responsible for your life ! वो एक life के लिए नहीं, अनंत अवतार की life के लिए। इसलिए life में बहुत जिम्मेदारीपूर्वक रहना चाहिए। Father के साथ, Mother के साथ, wife के साथ, बच्चों के साथ, सबके साथ जिम्मेदारी है आपकी। और ये सबके साथ तुम्हारा क्या संबंध है? घराक का व्यापारी के साथ संबंध रहता है, वैसा ही संबंध है।
ही चले गया, फिर bonus आधा हो जायेगा। कीर्ति तो आपको इधर ही मिल जाती है। सब लोग बोलते है कि, 'ये शेठने पाँच हजार दिया, पाँच हजार दिया' और आप खुश हो जाते है। इसलिए दान गुप्त रखना चाहिए। देखादेखी में दान करे, स्पर्धा में आकर दान करे तो उसका पूरा फल नहीं मिलता। भगवान के यहाँ एक भी रुपेया गुप्त रूप से दिया.
और दूसरे सब ने २० हजार देकर तख्ती लगाया, तो उसका उसको इधर ही फल मिल गया। इधर ही उसको यश, कीर्ति, वाह वाह मिल गई। उसका payment तख्ती से हो गया। फिर payment बाकी नहीं रहा। नहीं तो एक रुपेया दो, मगर कोई न जाने ऐसे दो। तख्ती नहीं लगाये, तो बहुत ऊँचा फल मिलता है। तख्ती तो मंदिरो में सारी दिवारों पर तख्ती ही लगी हुई है। इसका कोई meaning है? उसको कौन पढ़ेगा? किसी का बाप भी नहीं पढ़ेगा।
दान याने दूसरे कोई भी जीव को सुख देना। मनुष्य हो या दूसरा कोई भी जानवर हो, वो सबको सुख देना उसका नाम दान है। दूसरों को सुख दिया तो उसके reaction में अपने को सुख मिलता है और दु:ख दिया तो फिर दुःख आयेगा। इस तरह आपको सुख-दुःख घर बैठे आयेगा। कुछ न दे सके तो उसको खाना दो, पुराने कपड़े दो। उससे उसको शांति मिलेगी। किसी के मन को सुख दिया तो अपने मन को सुख प्राप्त होगा, ये सब व्यवहार है। क्योंकि जीवमात्र के अंदर भगवान है, इसलिए उसके बाहर के काम को हमें नहीं देखना चाहिए, उसको मदद करनी चाहिए। उसको मदद की तो वो help का परिणाम अपने यहाँ सुख आयेगा और दुःख दिया तो दुःख का परिणाम अपने यहाँ दुःख आयेगा। इसलिए रोज सुबह में नक्की करना चाहिये कि मेरे मन-वचनकाया से कोई भी जीव को किंचित् मात्र दु:ख न हो, न हो, न हो। और कोई अपने को दुःख दे जाए तो उसको अपने चोपडे में जमा कर देने का। नंदलालने दो गाली आपको दिया तो उसको नंदलाल के खाते में जमा कर देने का, क्योंकि पिछले अवतार में आपने उधार दिया था। आपने दो गाली दिया था तो दो वापस आ गया। आज पाँच गाली फिर से दो तो वो फिर से पाँच देगा। अगर आपको ऐसा व्यापार करना पसंद नहीं
प्रश्नकर्ता : अभी मैं कोई कार्य करूं तो उसका फल मुझे इसी जन्म में मिलेगा या आगे के जन्म में मिलेगा?
दादाश्री : देखोने, जितना कर्म आंख से दिखता है, इसका फल तो इधर ही ये जन्म में मिलेगा और जो आँख से दिखता नहीं, अंदर हो जाता है, वो कर्म का फल आगे के जन्म में मिलेगा।
एक आदमी मुस्लिम है, उसको पाँच लडके है और दो लडकी है। उसके पास पैसा भी नहीं है। उसकी औरत किसी दिन बोलती है कि अपने बच्चों को गोस खिलाओ। तो वो बोलता है कि 'मेरे पास पैसा नहीं, कहाँ से लाऊँ।' तो फिर उसने विचार किया के जंगल में हिरण होता है ने, तो एक हिरण को मार के लायेगा और बच्चे को खिलायेगा। फिर उसने ऐसा एक हिरण मार के लाया और बच्चे को खिलाया। एक शिकारी आदमी था। वो शिकार का शोखवाला था। वो जंगल में गया और उसने भी हिरण को मार दिया। फिर खुश होने लगा कि देखो, एक ही दफे में हमने इसको मार दिया।
वो मुस्लिम को, बच्चों को खाने को नहीं था. तो हिरण को मार दिया मगर उसको अंदर ये ठीक नहीं लगता है, तो उसका गुनाह २०% है। १०० % normal है, तो मुस्लिम को २०% गुनाह लगा और वो