Book Title: Karm Prakruti
Author(s): Shivsharmsuri, Chirantanacharya, Malaygirisuri, Yashovijay Gani
Publisher: Jin Gun Aradhak Trust

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Page 13
________________ गाथाङ्क कर्मप्रकृतिः विषयानु ॥६॥ DOHOROSDOG पृष्टाङ्क विषय गाथाङ्क | पृष्टाङ्क विषय रोपनिधादि-प्रगणनादि-समुदाहारादिप्र०, ९६-१०९ प्रदेशसंक्रम-लक्षणमेदादि, उबलनादिपञ्च. स्थितिबन्धे साधादि स्वामित्वप्र० च ८७-१०२ विधसंक्रमस्व०-अपहारकालश्च ६०-७१ संक्रमकरणे १०९-१२५ उत्तरप्रकृतिषु साधनादिप्र०, गुणितकर्माश'१-५ प्रकृतिसंक्रमे संक्रमपतद्ग्रह लक्षण-अपवाद स्वरूपं, उत्कृष्टप्रदेशसंक्रमस्वामित्वं च ७२-९३ नियमो १२६-१४० क्षपितकर्मीशस्व०-ज० प्र० संक्रमस्वामित्वं ९४-१११ ५-१० संक्रमपतद्ग्रहयोः साद्यादिप्ररूपणा ___ उद्वर्तनापवर्तनयो:११-५३ उत्तरप्रकृतिसंक्रमपतग्रहस्थानानि ९-२७ १४०-१४६ उद्वर्तनायां-स्थित्युद्वर्तना निक्षेपश्च ५४-६७ स्थितिसंक्रमे-मेदविशेषः-विशेषलक्षणं, उत्क १४६-१५२ अपवर्तनायां-स्थित्यपवर्तना , एजघन्यस्थितिसंक्रमप्रमाणं, यरिस्थतिपरि १५२-१५४ अनुभागोद्वर्तनापवर्तनाच माणादि २८-३५ ६८-७६ साधनादिप्ररूपणा, जघन्योत्कृष्टस्थितिसंक्र १५५-१५६ उद्वर्तनापवर्तनयोरल्पबहुत्वं कालनियमश्च मस्वामित्वं च ३६-४३ उदीरणाकरणे७६-८१ अनुभागसंक्रमे-भेद-विशेषलक्षण-स्पर्धकादि १-४ प्रकृत्युदीरणायां-लक्षणं-साद्यनादि च १ -३ उत्कृष्टजघन्यानुभागसंक्रमाश्च ४४-४८ ५-१५ मूलोत्तरप्रकृत्युदीरणास्वामित्वं ४-२१ ८१-९५ साद्यनादिप्र०, उत्कृष्टजघन्यानुभागसंक्रम १५-४२ उदीरणास्थानानि स्वामित्वं च २२-२८ स्वामित्वं ४९-५९ । ४३-४८ स्थित्युदीरणायां-लक्षणमेदौ-साधनादि २९-३१ ४ -६ ॥६॥

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