Book Title: Karm Prakruti
Author(s): Shivsharmsuri, Chirantanacharya, Malaygirisuri, Yashovijay Gani
Publisher: Jin Gun Aradhak Trust

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Page 14
________________ पृष्टाङ्क CODac विषय गाथाङ्क | पृष्टाङ्क विषय गाथाक ४८-६३ अद्धाच्छेद-उत्कृष्टजघन्यस्थित्युदीरणा स्वा० ३२-४२ ३४-६९ उपशमश्रेणेः स्वरूपम् ३३-५७ ६३-६९ अनुभागोदीरणायां-संज्ञा शुभाशुभप्र०४३-४७ | ७०-७४ उपशमश्रेणेः प्रतिपातक्रमः ६९-७४ विपाकस्वरूपं प्रत्ययस्वरूपं च ४८-५३ ७५-७६ स्त्रीनपुंसकवेदेन प्रतिपत्तुः क्रमः ७५-९४ मूलोत्तरप्रकृतिषु साद्यनादिप्र० स्वामित्वं च ५४-७९ ७६-८१ देशोपशमनायां प्रकृतिदेशोपशमना ९४-९७ प्रदेशोदीरणायां-मूलोत्तरप्रकृतीनां साद्य ८१-८३ स्थित्यनुभागप्रदेशदेशोपशमनास्वरूपम् नादिप्र० ८०-८१ ८३-८७ निधत्तिनिकाचनाकरणस्वरूपम् , गुण९७-१०५ उत्कृष्टजघन्यप्रदेशोदीरणास्वामित्वं ८२-८९ श्रेण्यादीनां अल्पबहुत्वं च ७२-७४ उपशमनाकरणे - उदयाधिकारे१-२ करणाकरणकृतोपशमनास्वरूपं २-५ सर्वोपशमनायां-प्रथमोपशमसम्यक्त्वयो १-४ प्रकृत्युदयः, स्थित्युदयः अनुभागोदयश्च ग्यजीवप्ररूपणादि । ४-८ प्रदेशोदये मूलोत्तरप्रकृतीनां साद्यनादिप्ररू० ६-७ ५-१४ यथाप्रवृत्तापूर्वकरणानिवृत्तिकरणत्रयस्व० ८-१२ सम्यक्त्वाद्येकादशगुणश्रेणिस्वरूपम् १५-१९ प्रथमोपशमिकलामस्वरूपं दृष्टित्रिकस्व० १८-२६ १२-१८ उत्कृष्टप्रदेशोदयस्वामित्वप्र० १९-२३ अविरतिदेशविरतिसर्वविरतिस्वरूपम् २७-३० १८-२६ जघन्यप्रदेशोदयस्वामित्वप्र० २०-३२ २३-२५ अनन्तानुबन्धिविसंयोजना सत्ताधिकारे-- २५-३३ दर्शनमोहनीयक्षपणाविधिः ३२ । २७-२८ मेदन० मूलोत्तरप्रकृतीनां साद्यनादिप्र० -१९ १ -२

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