Book Title: Kalyan 1958 12 Ank 10
Author(s): Somchand D Shah
Publisher: Kalyan Prakashan Mandir

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Page 37
________________ : क्या५ : १२ : १८५८ : १८१ : बैले आदि उन्हें सहारा देने वाले भीत स्तम्भ फलते है । आदि के आश्रय को वेष्टित करते हुए आगे (८) हर्ष:- ताड खजूर आदि वनस्पतियां बढती है। मरुभूमी में भी फले फुले दिखाइ देती है । __ (३) रस ग्रहण करने की शक्ति:- उरव कुछ २ वनस्पतियां अकाल में भी उगी रहती है। चुकन्दर आदि भूमीसे मीठा रस चूसने में (९) लोभः- श्वेत आक, पलाश बिली वृक्ष कुशल होती है । प्रत्येक पैड-पौध का रस एक आदि के जडे भूमी में रहे हुआ धन की निधियों विशेष स्वाद का होता है जो वे भूमीसे ग्रहण पर फलती रहती है। करते है। - (१०) भयः- यह भी लज्जावन्ति के पौधे से (४) स्पर्श ग्रहण करने की शक्तिः - लज्जा- स्पष्ट होता है । वन्ती के पैड से स्पष्ट होता है। प्रो० जगदीशचन्द्र वसु ने यह प्रयोग द्वारा ___एक पुरुष जब उनकी पत्तियों को स्पर्श प्रमाणित कर के बता दिया है कि जिस प्रकार करता है तो वे स्वतः उसी समय सकुचित मानवादि में भय के कारण कम्पन होने लगती है जब कि नारी के स्पर्श करने पैदा होती है उसी प्रकार पैड पौधों में भी भय पर वे ज्यों की त्यों रहती है। यह उसके के कारण कम्पन होता है। वे भी हमारी स्पर्श ज्ञानका प्रत्यक्ष प्रमाण है। भांति सुख दुःख का अनुभव करते है यद्यपि . (५) सुगन्ध ग्रहण करने की शक्तिः - उख व्यक्त नहीं कर सकते। आदि वनस्पतियां धूप आदि की सुगन्ध से वृद्धि (११) लज्जाः- पुरुष के स्पर्श से लज्जावन्ती पाती है। - की पत्तियों में जो संकुचन होता है बह लज्जा (६) निद्रा और जाग्रत अवस्थाः- का प्रत्यक्ष द्योतक है। पुआंड का वृक्ष, चन्द्र विकासी, सूर्य विकासी, (१२) मैथुन:- प्रत्येक वनस्पति विज्ञान का कुमुद, कुमुदनी, अभारी के फूल विशेष समय विद्यार्थी यह जानता है कि नर पुष्प का पराग में संकुचित होते है और विशेष समय में मादा पर पडने पर ही उसमें फल उत्पन्न होता विकसित हो जाते है। अधिकांश पुष्प सूर्योदय है । इसीलिये मादा वृक्ष के समीप नर वृक्ष होने पर विकसित होते है तो कुछ चन्द्रोदय लगाये जाते है दृष्टान्त के लिये पपीते का होने पर । वनस्पतियों के विषय में यह भी वृक्ष लो । जिन वनस्पतियो में नर और मादा सुना जाता है कि कुछ पैडे-पौधे राजि में वृक्ष नहीं होते उनके हर एक पुष्प में नर झुक जाते है व दिन उगने पर पुनः उठ जाते और मादा के दोनो अंग होते है जिससे है जो वनस्पति में निद्रा और जाप्रत होने का सेचन क्रिया (Pollination.) बराबर होती बताता है। रहती है । कुछ जलके पुष्प में से नर फूलका (७) राग और प्रेम - नारी के झांझर की पराग उपर से पानी में गिरते ही मादा फूल झंकार से कटहल, अशोक, बकुल आदि वृक्ष जल से बहार निकल कर नर फलका पराग

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