Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinayvijay, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Yashovijay Pustakalay
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कल्प
दीपिका
तप्पयपंकजमहुअर, बुझेप जयविजयनामधेएफ । मुरीणं परिचाडो, संथुणिआ मंगलं दिसउ ॥ २७ ।।
इति गुर्वावली संपूर्णा ॥ छ ॥ श्रीरस्तु ॥ आ कल्पदीपिका ग्रंपनी शैली प्रौढ छे छतां अत्यंत संक्षेप छे. तेमज बोजी टीकाओ करतां आ टीकामां विशेषता ए छे के कथाओ विगेरे सुगम पद्योमां बनावेल छे ने ते बहु सरस छे. कल्पमूत्रनी टीकामां तेमणे ते बखतना पुस्तकारूढ अधिकमास विगेरे चर्चाओ संबंधी शास्त्रीय पुरावाओ मुकी पोतानो मत प्रौढशैलीमां दर्शाव्यो छे.अन्ते आ पुस्तकना प्रकाशनमां परमपूज्य प्रातःस्मरणीय आचार्य श्रीमद् विजयभद्रमुरिश्वरजीमहाराजसाहेब तथा तेओश्रीना विनित शिष्योनो उपकार न भूली शकाय तेम छे. तेओश्रीनी आ कार्य परत्वे आ जातनी सहानुभूति न होत तो आ कार्य जरुर अशक्य ज बनत. छेवटे प्रेसनी अनेक त्रुटिओने लइने तथा लांबा समयथी थता मुद्रणने लइने थयेला दोषो बदल चांचको क्षमा आपशे एज.
। मफतलाल झवेरचंद गांधी
ठे० मांडवीनी पोळमां, नागजी भूधरनी पोळ-अमदावाद । २३-तस्य विक्रमतः १६०२ वर्षे फाल्गुनपुर्णिमायां जन्म । इति तद्वृत्तौ ॥ २६, २७-किंचान्ये पूर्वाचार्यावदाता विशेषार्थाश्च तज्जिज्ञासुना महोपाध्यायश्रीधर्मसागरगणिकृताया श्रीहीरविजयसूरीश्वरनिर्देशात् महोपाध्यायश्रीविमलहर्षगणि-महोपाध्यायश्रीकल्याणविजयगणि -महोपाध्यायश्रीलब्धिसागरगणि-महोपाध्यायश्रीसोमविजयगणिप्रमुखगीतार्थैः संभूय शोधितायाः पट्टावलीतो ज्ञेयाः।। इति पट्टावली सम्पूर्णा ॥
लिखिता प्रथमादर्श श्रीहीरविजयसूरीश्वर-शिष्यपंडितरामविजयगणिसाहाय्यात् पं. जयविजयगणिना सं. १६८० वर्षे अषाढशुक्लद्वितीयायां । शुभं भवतु श्रीसंघस्य कल्याणमस्तु ॥ छ श्रीरस्तु ॥ इति तद्वत्तेरन्त्यभागे ॥
पत्राणि. ९

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