Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinayvijay, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Yashovijay Pustakalay

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Page 12
________________ कल्प आ कल्पमूत्रना रचयिता चौदपूर्वधर युगप्रधान भद्रबाहुस्वामि क्यारे क्या अने तेमणे शुं शुं कर्तुं तेनो विस्तृत | दीपिका अधिकार आज ग्रंथनी स्थविरावलीमां आपेल होवाथी अहिं आपवो ते तेने फरी कहेवा जेतुं छे. तेथी तेना जिज्ञासुओए त्यांथी ते महापुरुषनो जीवनवृत्तांत जोई लेवो. आ कल्पमूत्र आपणा तमाम साहित्यमां मुख्य अने प्रसिद्ध छे. तेमज तेना रचयिता भद्रबाहुस्वामि पण एटला बधा प्रसिद्ध छे के जेनाथी भाग्ये ज कोई अज्ञात होय, धर्मानुष्ठानसूत्रो सिवाय कल्पमूत्र एकज ग्रंथ एवो छे के जे दर वर्षे सौ बालकथी वृद्ध सुधीना तमाम श्रवण करे छे. तदुपरांत आ कल्पमूत्रमाथी आपणने आजथी बे हजार वर्ष पहेलांनी धर्मभावना, रोतरिवाज, पठनपाठनपद्धति ने तेना विषयो, राजा अने प्रजाओना संबंध, ऐतिहासिक स्थळोना निर्देश विगेरे अनेक विगतोनी माहिती मळे छे.. टीका अने टीकाकार. कल्पसूत्र उपर अन्तर्वाचना, कम्पटिप्पन, किरणावलो, संदेहविषौषधी, दिपिका, प्रदीपिका, सुबोधिका, विगेरे अनेक टीकाओ आजे जुना भंडारोमां नजरे पडे छे जेमांथी अद्यावधि संदेहविषौवधि, कीरणावली, सुबोधिका, विगेरे टीकाओ छपाइ चूकी छे. आ कल्पदीपिका टीकानी रचना पंडित जयविजयजी गणिए पोताना शिष्य वृद्धिविजयगणिनी प्रार्थनाथी १६७७ ना कारतक मुदो ६ ना दीवसे करेल छे. जेने ते वखतना समर्थ विद्वान पंडित भावविजयजी गणिए संशोधन करेल छे. के जे

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