Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mukti Vimal Jain Granthmala
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ॐ अर्हम्
-प्रकाशनने अंगेसकलसंवेगीशीरोमणि जगतपूज्य निग्रंथशिरोमणि प्रातःस्मरणीय सच्चारित्रचूडामणि सकलसिद्धांत वाचस्पति संस्कृतभाषामयानेकग्रंथरचयिता विद्वज्जनवृंदनीय बाळब्रह्मचारी विमलगच्छाधिपति विद्वद्वर्य पन्यास श्रीमद् मुक्तिविमळ महाराजना विद्वान शिष्य परममाननीय परोपकारपरायण करुणापारावारंपारीण व्याख्यानवाचस्पति जैनागम परिशीलनशाली जैनशासनप्रभावक पूज्यपाद प्रसिद्धवक्ता अनुयोगाचार्य श्रीमद् पन्यासप्रवरश्री श्रीमद् रंगविमळजी महाराजे ज्यारथी आ प्रतने जोइ त्यारथी अहर्निश तेमना हृदयनी झंखना हतीके जे आ कल्पसूत्रनी आवी सरळ टुंकी हृदयंगम पूर्वमहर्षि कृत टीका बहार पाडवामां आवेतो आजे अनेकने उपकार थइ शके कारणके अत्यार सुधीनी बहार पडेली किरणावली, सुबोधिका, संदेहविषौषधी, कल्पकलिका विगेरे करतां पण आ टीकानी पदलालित्यता, संक्षिप्तता, अने हृदयंगमता घणीज आकर्षक छे. तेमज अल्पज्ञ जीवोने पण आ प्रतथी घणोज उपकार थई शके तेम छे. साथे साथे प्राचीन महात्मानो करेलो ग्रंथपण जगतने निहाळवा मळी शके.
छता आपणे हृदयमा थनारी अनेक शुभ आशाओ साधन अने संयोगना अभावे आपोआप लीन करवी पडे छे. ते परिस्थिति आ ग्रंथ परत्वे बनवा पामी नथी कारणफे आग्रंथना प्रकाशनमां तेनी उपयोगीता अने ग्रंथकारनी जगतभरनी

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