Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mukti Vimal Jain Granthmala
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कल्प
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उपकार करवानी बुद्धिथी थयेल. रचनाने लइने सौ साधन अने सामग्री मळी आव्यां अने आजे ते ग्रंथ तेना जिज्ञासुओ आगळ मुकी. शकवा. भाग्यशाली थइ शकायु छ.
आ ग्रंथने सर्वांगसुंदर बनाववा आ ग्रंथ परत्वे आर्थिक सहाय करनार शेठ वाडीलालभाइ चकुभाइ रे. अमदावाद देवसाना पाडाना अने तेना प्रेरक अमारा गुरु पू. पं. रंगविमळजी महराज नी पूर्ण इच्छाने लइने देशी लेजरपेपरमां छपाववामां आव्यो छे छतां अहिंना प्रेसोनी अने टाइपोनी हाडमारी ने अंगे आग्रंथमां जे कांइ त्रुटिता रही होय तेनी जरुर वांचको क्षमा आपशे. ___ अन्ते आ ग्रन्थने छपावतां प्रेसदोष थवा पाम्या होय तेने लइने थयेली भूलो तेमज दृष्टिदोषने लइने थयेल भूलो बदल वांचको जरुर क्षमा.आपशे. एज.
ले. पूज्यपाद प्रसिद्धवक्ता अनुयोगाचार्य श्रीमत् पन्यासप्रवररंगविमलजीगणिवरान्तेवासी गुरुचरणसरोजमकरन्दास्वादमधुकरायमाणविद्याविभूषितमुनिश्रीकनकविमलजी.
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