Book Title: Kalpasutra
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur

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Page 429
________________ ८. त्रिशला के चौदह स्वप्न । (पृ० ६२) है. चित्र दो भागों में विभक्त है, ऊपरी भाग में दो व्यक्तियों के साथ मल्लयुद्ध करते हुए सिद्धार्थ और नीचे चौकी पर बैठे सिद्धार्थ दो व्यक्तियों से तेल मालिश करवा रहे हैं। (पृ० १०२) १०. त्रिशला द्वारा सिद्धार्थ को स्वप्न-ज्ञापन : राजकीय छत्रयुक्त सिंहासन पर बैठे सिद्धार्थ और उनके समक्ष आसन पर बैठी त्रिशला। (पृ० ११६) ११. स्वप्न विचार - त्रिशला द्वारा देखे गये स्वप्नों पर विचार करते चार पंडित । (पृ० ११८) १२. ऊपरी भाग में अपनी सेविकाओं से स्थिर-गर्भ के विषय में बात करती हुई शोक-संतप्ता त्रिशला और नीचे गर्भ में गति अनुभव होने के बाद प्रसन्न वदना त्रिशला। (पृ० १३४) १३. महावीर जन्म : महान् धर्म-प्रवर्तक महावीर अपनी मां की गोद में : लेटी हुई त्रिशला और पास में खड़ी हुई दासी। (पृ० १४०) १४. महावीर का जन्माभिषेक : ऊपरी हिस्से में महावीर को गोद में लिये मेरु पर्वत पर बैठे इन्द्र, जिनके दोनों ओर दो इन्द्र हैं। ऊपरी भाग में इन्द्र का सुसज्जित छत्र एवं उसके दोनों ओर मेघ का प्रतिनिधित्व करते हुए दो वृषभ बने हैं। (पृ० १४४) १५. दीक्षा-महोत्सव के समय शिबिकारुढ़ महावीर : इस शिबिका का निर्माण शक्र ने किया था । महावीर राजकीय वस्त्राभूषण धारण किए हुये हैं और उनके दोनों ओर नर्तकियां एवं शंखवादक हैं। (पृ० १६६) १६. दीक्षा ग्रहण के समय पंचमुष्टि लोच करते हुए महावीर : अपने मूल्यवान् वस्त्राभूषणों को त्यागने के पश्चात् महान् उपदेशक, अपने बालों का लुचन कर शक्र को दे रहे हैं । (पृ० १७२) SUB ( viii ein Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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